पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेंट्रल इमरजेंसी में अगर उपचार कराना है, तो आपको बाहर से जीवनरक्षक दवाएं , इंट्राकैथ व ग्लब्स तक खरीद कर लाना होगा क्योंकि अस्पताल में यह सामग्री नहीं है. इतना ही नहीं जानकारों की मानें तो मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए लगाये जाने वाला मॉस्क भी नहीं है. ऐसे में बाहर से मरीज इसकी खरीदारी करते हैं.
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इमरजेंसी में इलाज के लिए लानी होंगी दवाएं
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेंट्रल इमरजेंसी में अगर उपचार कराना है, तो आपको बाहर से जीवनरक्षक दवाएं , इंट्राकैथ व ग्लब्स तक खरीद कर लाना होगा क्योंकि अस्पताल में यह सामग्री नहीं है. इतना ही नहीं जानकारों की मानें तो मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए लगाये जाने वाला मॉस्क भी […]
संसाधन की कमी के कारण अक्सर अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज के परिजनों की ओर से बकझक की जाती है. अस्पताल में आने वाले मरीज अधिकतर गरीब होते हैं.जूनियर डॉक्टरों की ओर से भी इन मरीजों के साथ बेरुखी से व्यहवार किया जाता है. संसाधन की कमी झेलती इमरजेंसी में मरीजों को सुविधा मिले, इसके लिए जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से संसाधन की कमी के बारे में एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ रवि रंजन कुमार रमण ने अस्पताल अधीक्षक को लिखा है.
इसमें कहा गया है कि संसाधन मुहैया कराया जाये ताकि मरीजों का उपचार करने में दिक्कत नहीं हो. अध्यक्ष की मानें तो स्लाइन चढ़ाने के लिए इंट्राकैथ के साथ सर्जरी के आवश्यक सामान व दवाओं को बाहर से खरीद कर मंगाना पड़ता है. ऐसे में वे चिकित्सकीय सलाह तो दे सकते हैं, लेकिन संसाधन की कमी से उपचार करने में दिक्कत होती है.
हालांकि, इस मामले में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ गोपाल कृष्ण का कहना है कि रोगी कल्याण समिति के फंड से इमरजेंसी के रजिस्ट्रार को जीवनरक्षक दवाएं व आवश्यक संसाधन खरीदने का निर्देश दिया गया है.उपाधीक्षक ने दो से तीन दिनों में कमियों को दूर कराने की बात कही है. बताते चलें कि बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है.
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