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नये बिहार की कहानी बता रही ‘नया बिहार’ पुस्तक

मिथिलेश जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शाेध संस्थान ने छापी है िकताब पटना : झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में बालू और आलू के सिवाय कुछ नहीं होने की मिथ से अलग नये बिहार, जिसका सालाना बजट दो लाख करोड़ को पार कर गया, बदलाव की इस कहानी से राज्य और बाहर […]

मिथिलेश

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शाेध संस्थान ने छापी है िकताब

पटना : झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में बालू और आलू के सिवाय कुछ नहीं होने की मिथ से अलग नये बिहार, जिसका सालाना बजट दो लाख करोड़ को पार कर गया, बदलाव की इस कहानी से राज्य और बाहर के लोग अवगत होंगे.

‘नया बिहार’ नाम की इस किताब में नये बिहार की पूरी कहानी अंकित है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग, जिन कार्यों में राज्य नजीर बना, आधी आबादी के सशक्तीकरण का मसला हो या शराबबंदी व दहेजमुक्त और बाल विवाह रोकने की पहल, सड़क-पुल, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य का विषय, बिहार पिछले 13 सालों मेे कैसे पायदान दर पायदान आगे बढ़ता गया, इसकी विस्तार से चर्चा इस पुस्तक में की गयी है. जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शाेध संस्थान की ओर से प्रकाशित 136 पन्नों की पुस्तक ‘नया बिहार’ में नीतीश कुमार के 24 नवंबर, 2005 में मुख्यमंत्री बनने से अब तक हुए विकास कार्यों का उल्लेख है.

100 रुपये कीमत वाली शोध के आधार पर तैयार इस पुस्तक को राज्य के सभी जिले, लाइब्रेरी, विवि और काॅलेजों समेत अन्य संस्थानों को उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि लोग इसका अध्ययन कर नये बिहार की कहानी को जान और समझ सकें. िरसर्च टीम के प्रमुख संस्थान में कार्यरत नीरज कुमार थे.

मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की विदेशी पत्रिकाओं द्वारा की गयी प्रशंसा का भी इसमें जिक्र है. मसलन, अमेरिका की टाइम पत्रिका ने लिखा है, किताबों में डूबे रहने वाले और आदर्शवादी सोच के इंजीनियरिंग के छात्र रहे नीतीश कुमार ने अपने 40 साल के राजनीतिक कैरियर में आडंबररहित जीवन और सशक्त नेतृत्व वाली छवि बनायी.

टाइम ने लिखा, नीतीश कुमार का सुशासन का फाॅर्मूला ईमानदारी व प्रभावकारी कदमों पर आधारित है. त्वरित अदालतों का गठन, पांच साल के अंदर करीब 33 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गयी, जैसे कार्य किये गये.

किताब में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों और आला अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की चर्चा है. भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति की जब्ती के लिए विशेष अदालतें बनायी गयीं. आइएएस और आइपीएस अधिकारियों की संपत्ति जब्त कर उनमें स्कूल खोले गये.

मुख्यमंत्री ने एक कुशल प्रशासक के तौर पर काम के प्रति उदासीन हो गये आइएएस अफसरों को नयी ऊर्जा और उत्साह के साथ नये आइडिया पर काम करने को मजबूर कर दिया. पुस्तक में आइएएस के तीन श्रेणियों की चर्चा है.

21 अध्याय हैं पुस्तक में

पुस्तक में 21 अध्याय हैं. इनमें कायम हुआ सरकार का इकबाल, प्रशासनिक सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली पहुंची गांव-गांव, तेरह साल में 20 गुना हुआ योजना आकार, सात निश्चय, आधी आबादी को पूरा हक, सभ्यता द्वार से बिहार संग्रहालय तक, रोड मैप से कृषि में विकास, ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े कार्य, भ्रष्टाचार पर प्रहार, आपदा पीड़ितों के लिए कार्य, विकास के साथ सुधार कार्यक्रम भी, अपनी संस्कृति-अपनी विरासत, तेज विकास के लिए विशेष दर्जे की मांग, पर्यावरण की दिशा में उठाये गये ठोस कदम और राह दिखाता बिहार व देश-दुनिया में कार्यों की सराहना शामिल हैं.

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