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पटना : सीएम का निर्देश, भू-जल स्तर की स्थिति की करें जांच

बिहार विकास मिशन के शासी निकाय की बैठक में सीएम का निर्देश पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के कई जिलों के भू–जल स्तर की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण(पीएचईडी) विभाग को निर्देश दिया कि जिलावार और प्रखंड वार गंभीरता से जांच करायी जाये. कई जिलों के आंकड़े चिंताजनक हैं. उन्होंने […]

बिहार विकास मिशन के शासी निकाय की बैठक में सीएम का निर्देश
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के कई जिलों के भू–जल स्तर की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण(पीएचईडी) विभाग को निर्देश दिया कि जिलावार और प्रखंड वार गंभीरता से जांच करायी जाये. कई जिलों के आंकड़े चिंताजनक हैं.
उन्होंने जल स्तर के अनुरूप विभागीय तौर पर आकलन करके आवश्यकतानुसार चापाकलों को लगाने का निर्देश भी दिया जिससे लोगों के सामने पेयजल की समस्या उत्पन्न नहीं हो. सही जगह पर चापाकल लग सके इसके लिए विभागीय अधिकारियों और जिलाधिकारी का फीडबैक भी अवश्य लिया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री सह बिहार विकास मिशन के अध्यक्ष नीतीश कुमार गुरुवार को बिहार विकास मिशन के शासी निकाय की पंचम बैठक में यह निर्देश दिया. बैठक में पीएचईडी विभाग द्वारा बिहार के सूखाग्रस्त घोषित 257 प्रखंडों में पेयजल की व्यवस्था के लिए की जा रही विभागीय कार्रवाई से अवगत कराया गया.
इसमें मुख्यमंत्री को सूखा प्रभावित जिलों में भू–जल स्तर, बंद चापाकलों की मरम्मत कर चालू करने की स्थिति, सुखाड़ घोषित होने (15 अक्टूबर 2018) के बाद चालू किये गये चापाकल, पशुओं के पेयजल के लिए निर्माण की स्थिति आदि विषयों से प्रेजेंटेशन के माध्यम से अवगत कराया गया.
मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में आयोजित समीक्षा बैठक में कृषि विभाग के प्रस्तुतीकरण को देखने के बाद मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि कृषि इनपुट सब्सिडी वितरण का काम अविलंब शुरू करें. समय पर जरूरतमंद किसानों को इसका लाभ मिल सके. पटना और नालंदा में अधिसंख्य किसान अपने खेतों से फसल काटने के बाद उसके अवशेष में आग लगा रहे हैं. इससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है. इस पर हर सूरत में रोक लगाने का निर्देश दिया गया. मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा खेतों में आग लगाये जाने के कारण ही दिल्ली की यह दुर्गति हुई है.
इसके लिए अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करने और इस तरह की सलाह जो किसानों को दे रहें हैं उन्हें भी चिह्नित करने को कहा गया. विभाग द्वारा वर्ष 2008 से लेकर अबतक कृषि रोड मैप अवधि में चावल गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल आदि के उत्पादन, उत्पादकता, बीज विस्थापन दर एवं बीज वितरण की अद्यतन स्थिति के संबंध में जानकारी दी गयी. विभाग ने राज्य के 24 सूखा प्रभावित जिलों के 257 प्रखंडों में डीजल अनुदान, कृषि इनपुट अनुदान (आपदा सहाय्य), तृतीय कृषि रोड मैप अंतर्गत शुरू की गयी नयी योजनाएं और पहल जैविक खेती के लिए कृषि इनपुट अनुदान योजना, जैविक कॉरिडोर योजना, किसानों का कौशल प्रशिक्षण, बीज टीका अभियान इत्यादि के संदर्भ में जानकारी दी.
फसल चक्र में करें बदलाव
कृषि विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो मौसम में बदलाव आये हैं उसको देखते हुए फसल चक्र में भी परिवर्तन करना होगा. फसल चक्र पर फोकस करते हुए लोगों को जागरूक करें.
गंगा की निर्मलता को ध्यान में रखते हुए गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम एक्सपर्ट से परामर्श लेकर जल्दी कराएं ताकि सीवरेज का पानी गंगा में प्रवाहित करने की बजाय उसका सिंचाई में उपयोग किया जा सके. मधुमक्खी पालन का आकलन और अध्ययन कराने का निर्देश भी विभागीय अधिकारियों को दिया.
सब्जी के लिए सहकारी समिति बने
सहकारिता विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बिहार में उत्पादित होनेवाली सब्जी का करीब 30 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है. इसको देखते हुए सहकारी समिति बनाने का फैसला लिया गया है.
इससे बर्बाद होने वाली सब्जियों को बचाकर उसे बाजार उपलब्ध कराया जाये. सहकारिता विभाग द्वारा अनाज की भंडारण क्षमता, किसान क्रेडिट कार्ड, चावल मिल सह गैसीफायर, ड्रायर सहित चावल मिल की स्थापना, जैविक सब्जी उत्पादन, विपणन एवं प्रसंस्करण, बिहार राज्य फसल सहायता योजना, मुख्यमंत्री हरित कृषि योजना के संबंध मुख्यमंत्री को जानकारी दी.
सभी वाहनों से हूटर व सायरन हटवायें
पर्यवारण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किशनगंज में जो इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर कॉलेज बना है वहां इको टूरिज्म का एक अच्छा केंद्र बन सकता है.
ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पुलिस महानिदेशक और परिवहन विभाग के अधिकारियों को कहा कि एंबुलेंस को छोड़कर सभी वाहनों से हूटर और सायरन को हटवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि बेवजह भी वाहन चालक हॉर्न बजाते रहते हैं, इस दिशा में परिवहन विभाग को कार्रवाई करने के साथ–साथ लोगों को जागरूक करने की दिशा में भी काम करने का निर्देश दिया.
इस बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा विशेष सर्वेक्षण अधिनियम (2011) अंतर्गत सर्वेक्षण कार्य, अॉनलाइन दाखिल खारिज, अॉनलाइन भू–लगान भुगतान, डिजिटल सर्वे मानचित्र, अभियान बसेरा, अॉपरेशन दखल दहानी, आधुनिक अभिलेखागार जबकि खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा राशन कार्ड का आधार सीडिंग, नया राशन कार्ड निर्गत एवं रद्दीकरण, खाद्यान उठाव, राज्य के सभी जन वितरण दुकानों का आधुनिकीकरण, अनुश्रवण, सॉफ्टवेयर एवं विकेंद्रीकृत अधिप्राप्ति के संदर्भ में प्रस्तुतीकरण मुख्यमंत्री के समक्ष दिया गया.
बैठक में राज्य मंत्रिमंडल के मंत्रीगण, मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मिशन निदेशक बिहार विकास मिशन विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव सहित अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे.
गोशाला के माध्यम से ऑर्गेनिक फार्मिंग को प्रमोट करें
मुख्यमंत्री के समक्ष पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद कहा कि गोशाला पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. गाय के गोबर और मूत्र का आर्गेनिक फामिंर्ग में ज्यादा यूज है. दूध की अपेक्षा गोबर और मूत्र से ज्यादा आमदनी होगी. गोशाला के माध्यम से इसे प्रमोट कराया जाये.
उन्होंने कहा कि सड़कों पर जो आवारा पशु विचरण करते हैं उसे भी गोशाला तक पहुंचाने का प्रबंध कीजिए ताकि उसके गोबर और मूत्र का उपयोग किया जा सके. इससे वर्मी कम्पोस्ट को बढ़ावा मिलेगा.जीविका के माध्यम से जो बकरी और मुर्गी का वितरण हो रहा है उसे और अधिक प्रमोट कराइए क्योकि गरीब लोग ही बकरी और मुर्गी का पालन करते हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि बकरी का दूध डेंगू में सबसे अधिक फायदेमंद होता है.
निजी नलकूप शताब्दी योजना का लाभ दें
जल संसाधन विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के क्रम में मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि जहां भूमि अधिग्रहण की समस्या नहीं है वहां के लिए अनुसंशित की गयी धनराशि का इस्तेमाल के काम तेजी लाये. लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को कहा कि वर्ष 2013 में निजी नलकूप शताब्दी योजना शुरू की गयी. इसको लेकर जो भी आवेदन प्राप्त हुए हैं उसकी पूरी पड़ताल करके इसका लाभ लोगों को दें क्योंकि निजी नलकूप योजना की कई योजनाएं हैं लेकिन उसका फायदा लोग उठा नहीं सके.

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