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मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड : बिहार सरकार को SC ने फिर फटकारा, 24 घंटे में FIR ठीक कर पेश करने का दिया आदेश

नयी दिल्ली/पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से बिहार सरकार को फटकार लगायी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बार बिहार सरकार को ठीक से एफआईआर दर्ज नहीं करने पर फटकार लगायी है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए एफआईआर में धारा 377 (बलात्कार) आईपीसी और […]

नयी दिल्ली/पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से बिहार सरकार को फटकार लगायी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बार बिहार सरकार को ठीक से एफआईआर दर्ज नहीं करने पर फटकार लगायी है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए एफआईआर में धारा 377 (बलात्कार) आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज कर 24 घंटे के अंदर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है, ‘अगर हमें लगता है कि धारा 377 आईपीसी और पीओसीएसओ अधिनियम के तहत अपराध हुए थे और आपने प्राथमिकी दर्ज नहीं की है, तो हम सरकार के खिलाफ आदेश पारित करेंगे.’

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि आप क्या कर रहे हैं, यह शर्मनाक और अमानवीय है. हमने पहले ही आपसे कहा था कि इस मामले को गंभीरता से लें, मगर क्या यह गंभीरता है? भला आप ये कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है. सरकार की ओर से हमें बताया गया कि मामला बड़ी गंभीरता से देखा जायेगा, यह गंभीरता है?आपने एफआईआर में हल्की धाराएं जोड़ी हैं. आईपीसी की धारा-377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए.

बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए, ‘मई में रिपोर्ट आयी और आपने अब तक इस पर क्या एक्शन लिया? आपका रवैया ऐसा है कि अगर किसी बच्चे के साथ दुराचार होता है तो आप जुवेनाइल बोर्ड के खिलाफ ही कार्रवाई कर देंगे?’सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि वो अपनी गलतियां सुधारेंगे. कोर्ट ने कहा, "मोतिहारी के शेल्टर होम में एक लड़के के साथ अप्राकृतिक यौनाचार किए जाने की शिकायत है. लेकिन आपने पॉक्सो एक्ट की एक कमजोर धारा लगाई है. इस मामले में आईपीसी की धारा 377 के तहत एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हुई. क्या पुलिस को कानून का इतना भी ज्ञान नहीं है? आमतौर पर देखा जाता है कि पुलिस जिन धाराओं की जरूरत होती है, उससे कड़ी धाराएं लगा देती है. यहां तो उल्टा हो रहा है." इसके साथ ही बिहार सरकार की ओर से कहा गया, ‘सभी शेल्टर होम एक ही अथॉरिटी के अंतर्गत हों इसके लिए सरकार कदम उठा रही है. बिहार सरकार को जैसे ही शिकायत मिली, तुरंत कार्रवाई शुरू की.’

कोर्ट ने बिहार सरकार को 24 घंटे में एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा है. इसके साथ ही मुख्य सचिव को भी आदेश दिये हैं कि वे सुनवाई के दौरान कोर्ट में ही मौजूद रहें.ज्ञात हो कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की सीबीआई जांच कर रही है और सुप्रीम कोर्ट इस केस की मॉनिटरिंग कर रहा है.

मंजू वर्मा की गिरफ्तारी न होने पर भी लगी थी फटकार
विदित हो कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले में बिहार सरकार को फटकार लगायी थी. 12 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी न होने पर फटकार लगायी थी. मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में मासूम लड़कियों के साथ हैवानियत के मामले में बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के घर पुलिस छापे में 50 कारतूस मिले थे. पुलिस ने इस संबंध में उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये चौंकाने वाली बात है कि मंजू वर्मा को तलाश नहीं किया जा सका. कोर्ट ने कहा कि कमाल है, किसी को ये नहीं पता कि पूर्व मंत्री कहां हैं. बिहार सरकार को इस मामले में जवाब देना होगा. हालांकि, उसके कुछ दिन बाद 19 नवंबर को आरोपी मंजू वर्मा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.

गौरतलब हो कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रह रही 44 लड़कियों में 42 की मेडिकल जांच कराए जाने पर उनमें से 34 के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो चूकी है. मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ‘कोशिश’ टीम की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया था. करीब 100 पेज की सोशल ऑडिट रिपोर्ट को टीम ने 26 मई को बिहार सरकार, पटना और जिला प्रशासन को भेजा. इसके बाद बालिका गृह से 46 किशोरियों को 31 मई को मुक्त कराया गया. इनको पटना, मोकामा और मधुबनी के बालिका गृह में भेजा गया. बालिका गृह का संचालन कर रही एनजीओ के लोग बच्चियों के साथ रेप करते थे. इस कांड में नेताओं की भागीदारी की बात भी सामने आई थी.

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