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पटना : निकायों में गोरखपुर-मेरठ मॉडल पर बनेंगे शवदाह गृह

एक चौथाई लकड़ी की ही होगी खपत, प्रदूषण भी होगा कम नगर विकास विभाग वायु प्रदूषण रहित शवदाह गृह के निर्माण पर कर रहा है काम पटना : हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार के बढ़ते चलन को देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग शहरों में गोरखपुर-मेरठ मॉडल के शवदाह गृह बनाने पर काम […]

एक चौथाई लकड़ी की ही होगी खपत, प्रदूषण भी होगा कम

नगर विकास विभाग वायु प्रदूषण रहित शवदाह गृह के निर्माण पर कर रहा है काम

पटना : हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार के बढ़ते चलन को देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग शहरों में गोरखपुर-मेरठ मॉडल के शवदाह गृह बनाने पर काम कर रहा है. इस मॉडल की खासियत है कि इसमें कुल लागत की महज एक चौथाई लकड़ी का ही इस्तेमाल होता है. इससे लकड़ी की बचत होगी ही, वायु प्रदूषण भी कम हो सकेगा. इसको लेकर विभाग ने कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के तहत आवेदन मांगे हैं.

फायर ब्रिक्स की होंगी दीवारें

मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे शवदाह गृह एक कमरा नुमा होते हैं, जिसके चारों ओर की दीवारें फायर ब्रिक्स (अभ्रक की ईंट) की बनी होती हैं. यह शवदाह गृह ऊपर से बंद रहता है, जिसमें एक पतली चिमनी लगी होती है. फायर ब्रिक्स की खासियत है कि लकड़ी से निकलने वाली आंच इसमें अवशोषित नहीं होती, बल्कि वह उत्सर्जित होती है.

इससे मात्र एक क्विंटल लकड़ी में इतनी अधिक आंच पैदा होगी कि शव चार से पांच घंटे में पूरी तरह जल जायेगा. एक कमरे में एक साथ तीन शव जलाये जा सकेंगे. एेसे शवदाह गृह में शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज और पूजन के साथ करने की व्यवस्था होती है, जिससे धुंआ भी कम होता है.

सूबे के नगर निकायों में पारंपरिक शवदाह गृह के निर्माण को लेकर गोरखपुर के अधिष्ठापित मॉडल पर कार्रवाई की जा रही है. इसमें महज एक चौथाई लकड़ी की खपत पर ही शवदाह किया जा सकता है. वायु प्रदूषण रहित शवदाह गृह के निर्माण को लेकर ईओआई प्रकाशित की गयी है. शीघ्र निर्णय लेकर निकायों को जानकारी दी जायेगी.

—सुरेश कुमार शर्मा

मंत्री, नगर विकास एवं आवास विभाग

चार की जगह महज एक क्विंटल लकड़ी की जरूरत

इस शवदाह गृह की विशेषता है कि इसमें लकड़ी की बचत 75 फीसदी तक होगी. अनुमान के मुताबिक एक शव को जलाने के लिए चार क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है, लेकिन इस शवदाह गृह में महज एक क्विंटल अर्थात मात्र 25 फीसदी लकड़ी से ही पूरा शव आसानी से जलाया जा सकेगा. अधिकारियों के मुताबिक नया सिस्टम पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. इस शवदाह गृह में पहाड़ी और ठंडे स्थानों पर उगने वाले पेड़ों की लकड़ी के साथ ऐसे वृक्ष, जिनमें रेजिन कैनाल डेवलप हो गयी हो का इस्तेमाल किया जा सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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