कई छात्रों के जेआरएफ व अन्य स्कॉलरशिप लैप्स होने की कगार पर
2016 रेगुलेशन में बार-बार बदलाव की वजह से हो रही परेशानी
पटना : पटना विश्वविद्यालय में पीएचडी के इंटरव्यू तो हो चुके हैं. लेकिन, अब तक रिजल्ट जारी नहीं किया गया. इंटरव्यू हुए भी करीब तीन महीने हो चुके हैं.
छात्र अभी भी अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं, ताकि पीएचडी में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो सके. 2016 का रेगुलेशन बनने के बाद से ही बार-बार बदलाव होने की वजह से यह देरी हो रही है. विवि में शोध कार्य रुक गया है. इसके अतिरिक्त कई छात्र जो जेआरएफ या अन्य फेलोशिप के लिए चयनित हुए हैं, उनका फेलोशिप लैप्स होने के कगार पर है. कितनों का तो लैप्स हो चुका है.
बार-बार पीएचडी पर लगा जाता है ब्रेक : एक तरफ कितनी मुश्किल से कोई छात्र नेट, जेआरएफ या पैट (प्री-पीएचडी) की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं. लेकिन, विवि को उसकी कोई कद्र नहीं है. कोई-न-कोई नियम का हवाला देकर बार-बार पीएचडी पर ब्रेक लग जाता है. अगर पुराने छात्रों को छोड़ दें, तो करीब दो-तीन वर्षों से विश्वविद्यालय में एक भी पीएचडी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. मतलब शोध के लिए एक भी नामांकन विवि में पिछले वर्षों में नहीं हुए हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्री बार-बार विश्वविद्यालयों में शोध कार्य बढ़ाने और उसे बढ़ावा देने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ ये विवि इस तरह के कार्य में गंभीरता दिखाना उचित नहीं समझते हैं. कई छात्र तो पांच-पांच वर्षों से अपना प्री-पीएचडी एग्जाम पास करके अब तक रजिस्ट्रेशन की आस में बैठे हैं.
कोर्स वर्क का इंतजार : पटना विश्वविद्यालय में छात्र इंटरव्यू देकर कोर्स वर्क का इंतजार कर रहे हैं. जब तक रिजल्ट नहीं होगा, कोर्स वर्क भी नहीं होगा. छह महीने का कोर्स वर्क हर पीएचडी छात्र को करना अनिवार्य है.
इसमें पीएचडी करने के संबंध में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक बताया जाता है. उसी के आधार पर छात्र अपना सिनॉप्सिस तैयार करते हैं. फिर कोर्स की परीक्षा भी होती है. उसका भी सर्टिफिकेट दिया जाता है. तब जाकर पीएचडी शुरू होता है. यह अब कम-से-कम तीन वर्ष और अधिक-से-अधिक चार वर्ष का कर दिया गया है. इसके बाद इसके समय में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जायेगा. इस दौरान ही छात्र शोध कर अपना थेसिस विवि को जमा करेंगे.
पटना : एडमिशन के लिए सेकेंड काउंसेलिंग में न हो गड़बड़ी, आज जिम्मेदारी होगी तय
पटना : पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी में वोकेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए काउंसेलिंग प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही है. काउंसेलिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट कुलपति प्रो गुलाब चंद राम जायसवाल को सौंप दी गयी है.
जांच रिपोर्ट पर सोमवार को बैठक होगी. बैठक के बाद इस संबंध में कोई फैसला लिया जायेगा. वहीं प्रतिकुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि सोमवार को बैठक कर सेकेंड काउंसेलिंग की तिथि जारी की जायेगी. काउंसेलिंग प्रक्रिया बेहतर तरीके से आयोजित होगी. अभी भी फर्स्ट काउंसेलिंग प्रक्रिया समाप्त होने के बाद भी नालंदा और पटना के कई कॉलेजों में चलने वाले वोकेशनल कोर्स में सीटें खाली है. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के सभी कॉलेजों में एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित हुआ था.
इसके बाद कॉमन काउंसेलिंग प्रक्रिया भी हुई थी. कॉमन काउंसेलिंग प्रक्रिया में छात्रों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया था. 18 अगस्त को काउंसेलिंग में शामिल छात्रों को एएन कॉलेज में बीसीए सब्जेक्ट नहीं दिया गया, जबकि 23-24 अगस्त को काउंसेलिंग प्रक्रिया में शामिल स्टूडेंट्स को एएन कॉलेज में बीसीए सब्जेक्ट में एडमिशन दे दिया गया. साथ ही छात्राओं ने भी जबर्दस्ती जेडी वीमेंस कॉलेज में एडमिशन करवाये जाने का आरोप लगाया था. छात्राओं ने कहा कि काउंसेलिंग में एएन कॉलेज बीसीए फर्स्ट च्वाइस था, लेकिन काउंसेलिंग में शामिल लोगों को जेडी वीमेंस कॉलेज दिया गया. छात्रों की शिकायत के बाद जांच कमेटी का गठन हुआ था.
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट प्रक्रिया पर शुरू में ही उठा था सवाल : पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के वोकेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर शुरू से ही सवाल खड़े किये जा रहे थे. स्टूडेंट्स ने पहले ही आरोप लगाया था कि एडमिशन मनचाहे सब्जेक्ट में नहीं हो पा रहा था. वोकेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए जारी काउंसेलिंग प्रक्रिया से कई स्टूडेंट्स नाराज थे.
पीएचडी के रेगुलेशन 2016 में इंटरव्यू के रिजल्ट के लिए जो प्रक्रिया अपनायी गयी थी, उसको लेकर कुछ छात्रों में रोष था. इस वजह से उक्त रेगुलेशन में एक छोटा सा बदलाव किया गया है. उसे राजभवन से स्वीकृति मिलनी है. जैसे ही वह हो जाता है, विवि की ओर से पीएचडी के लिए कोर्स वर्क शुरू करा दिया जायेगा.
प्रो एनके झा, स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन, पीयू