पटना : जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय संरक्षक सह सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आज बिहार में फेल हो चुकी प्रशासनिकव्यवस्था और अन्य संवदेनशील मुद्दों को लेकर महामहिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. इस संबंध में सांसद ने एक ज्ञापन भी सौंपा और कहा कि चुनावी जनादेश के खिलाफ गठित अलोकतांत्रिक सरकार से आम जनों का भरोसा उठ गया है. इसके अलावा पप्पू यादव ने नंदन गांव, कैमूर, नवगछिया की घटना का न्यायिक जांच, दलितों पर बढ़ते अपराध को रोकने के लिए टास्क फोर्स, नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतनमान, संविदाकर्मियों को समान काम के लिए समान वेतन, आयुष चिकित्सकों को नियमित वेतनमान, ईंट, गिट्टी, मिट्टी, बालू की दोषपूर्ण नीतियों को खत्म करने के साथ हत्या- बलात्कार जैसी घटनाओं में स्पीडी ट्रायल के जरिये 100 दिनों के आंदर कार्रवाई और शैक्षणिक संस्थानों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की मांग की.
बाद में सांसद ने पत्रकार वार्ता में कहा कि राज्य में प्रशासिनक विफलता का आलम यह है कि पिछले दिनों हत्या, बलात्कार, अपहरण, फिरौती, जातीय और सांप्रदायिक हिंसा में बेतहाशा वृद्धि हो गयी है. यह राज्य सरकार के वेबसाइट से भी स्पष्ट है. उन्होंने बक्सर के नंदन गांव का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक लोगों पर प्रशासनिक और सरकार संपोषित अपराधियों का तांडव बढ़ रहा है. नंदन गांव में दलित और आम जनों को झूठे मुकदमे में जेल भेजा और बिना महिला पुलिस के देर रात उनके घरों में घुस कर महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है. वहीं कैमूर के मकरी खोह गांव में अनुसूचित जनजाति को फर्जी मुकदमे में फंसा कर पुलिस द्वारा पीट – पीट कर हत्याकरनेका मामला सामने आया है.
पप्पू यादव ने राज्यपाल को दिये ज्ञापन में कहा कि नवगछिया में अनुसूचित जाति की एक किशोरी लड़की का अपहरण का सामूहिक बलात्कार कर हत्या कर दी गयी. सांसदने राज्य सरकार पर आर्थिक अराजकता का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में कई तरह के घोटाले हुए, जिनमें सरकारी खजानों की लूट हुई. 1961 से बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ कानून के बाद इन मुद्दों पर सरकार द्वारा मानव श्रृंखला की नौटंकी कर गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का बंदरबांटहोरहा है. उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल महोदय के समक्ष सरकार तंत्र चौपट होने के बाद प्राइवेट स्कूल और कोचिंग द्वारा आम छात्रों के आर्थिक शोषण और राज्य में हर तरह की परीक्षा में धांधली के सवाल को उठाते हुए कहा कि बिहार लोकसेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली गयी परीक्षाओं का परिणाम प्रकाशित नहीं होने पर राज्य के नौजवान हताश और निराश हो गये हैं. अत: बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये.
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