लखीसराय. सदर प्रखंड के गढ़ी विशनपुर गांव में मुसहरी टोला में तीन दिनों तक सतन मांझी का शव घर में ही पड़ा रहा. पैसे के अभाव में शव नहीं उठ रहा था. कबीर अंत्येष्टि की राशि भी नहीं दी गयी थी. सतन मांझी का पुत्र गोविंद मांझी बंगाल के बर्दमान मे ईंट भट्ठा पर काम करता है. गोविंद को उसके मालिक के द्वारा छुट्टी नहीं दिये जाने की वजह से वह अपने पिता के अंतिम शव यात्रा में शामिल भी नहीं हो सका.
वहीं पुत्र के नहीं पहुंचने तथा शव को तीन दिनों तक रखे रहने को देखते हुए ग्रामीणों की निंद्रा जगी और ग्रामीणों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर शव का दाह संस्कार कराया़ यहां बता दें कि गढ़ी गांव के दलित सतन मांझी की मौत शनिवार की रात ही हो गयी. ग्रामीणों ने इसकी सूचना बीडीओ, मुखिया एवं अन्य पदाधिकारियों को दी, लेकिन पदाधिकारियों ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया. जब तीन दिन तक प्रशासनिक सुधि नहीं ली गयी तो ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर शव को दाह संस्कार कर दिया. पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि रामदेव यादव, उप मुखिया अरुण कुमार, प्रेम सागर सहित कई ग्रामीणों ने
बताया कि लोगों ने 50 से 250 रुपये तक चंदा दिया. ग्रामीणों द्वारा एसडीओ को भी फोन से सूचना देने की कोशिश की गयी लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ. इधर, अपने पिता के क्रियाकर्म करने के लिये गोविंद मांझी अब तक घर नहीं पहुंचा. वह पैसे की जुगाड़ में कभी बर्दमान तो कभी सीतारामपुर का चक्कर काट रहा है. शनिवार से सोमवार तक कोई जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी सतन मांझी का घर नहीं पहुंचे. इस संबंध में बीडीओ मंजुल मनोहर मधुप ने बताया कि वे न्यायालय के कार्य से पटना में हैं. उन्होंने बताया कि गढ़ी विशनपुर के पंचायत सेवक अशोक यादव को गढ़ी मुसहरी टोला में मृतक के परिजनों को आर्थिक मदद के लिये भेजा गया है.
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