पटना : बिहार सरकार के पूर्ण शराबबंदी को पटना हाईकोर्ट ने फिर एक बार फिर झटका देते हुए शराब अधिनियम के तहत अभियुक्त बनाये गये लोगों को अग्रिम जमानत प्रदान करने का निर्देश दिया है. अदालत ने नयी शराब अधिनियम की धारा 76(2) को असंवैधानिक करार दिया. सोमवार को अदालत ने यह स्पष्ट किया कि शराब अधिनियम के तहत बनाये गये अभियुक्तों को हाईकोर्ट के अलावा निचली अदालतों से भी अग्रिम जमानत दी जायेगी.
22 सितंबर 2017 को इस मामले में सुरक्षित रखे गये आदेश में सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जस्टिस केके मंडल एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने मनीष कुमार उर्फ लोकेश कुमार सहित अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर सुरक्षित रखे गये आदेश में अपना फैसला सुनाया. गौरतलब है कि सुनवाई के क्रम में अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने दायर याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं है.
अदालत को बताया गया था कि बिहार की नये शराब कानून 2016 की धारा 76(2) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत प्रदान नहीं की जायेगी. गौरतलब है कि इस मामले में पटना हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भी नयी शराब नीति कानून की धारा 76(2) को स्पष्ट करते हुए कहा था कि इसके तहत किसी भी अभियुक्त को शराब के मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है, जब तक कि न्यायालय द्वारा उक्त धारा को गैर संवैधानिक नहीं घोषित कर दिया जाता है.
साथ ही साथ अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि निचली अदालत शराब मामले में पकड़ाये या आत्मसमर्पण किये अभियुक्तों की जमानत नामंजूर करती है तो उसे अपने आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि किन कारणों से उसने जमानत नामंजूर की है.