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उपराष्ट्रपति चुनाव : कांग्रेस का गेम प्लान, नीतीश को उनके ही सैद्धांतिक भंवर में घेरने की तैयारी

पटना : राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद अब निगाहें उपराष्ट्रपति के चुनाव पर टिक गयी हैं. एनडीए की ओर से वेंकैया नायडू को उम्मीदवार बनाया गया है और एंटी एनडीए फ्रंट ने गोपाल कृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. पूर्व राजनयिक और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण […]

पटना : राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद अब निगाहें उपराष्ट्रपति के चुनाव पर टिक गयी हैं. एनडीए की ओर से वेंकैया नायडू को उम्मीदवार बनाया गया है और एंटी एनडीए फ्रंट ने गोपाल कृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. पूर्व राजनयिक और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी पहले भी नीतीश कुमार के राष्ट्रपति पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार थे. कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार घोषित करने में विलंब कर एंटी एनडीए फ्रंट में शामिल दलों की आलोचना झेल चुकी है. अब कांग्रेस ने नीतीश के पसंदीदा उम्मीदवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतार कर, उन्हें अपने पाले में करने के साथ, गलती सुधारने की कोशिश की है. जानकारों की मानें, तो वर्तमान में बिहार और केंद्र की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेस और राजद ने मिलकर नीतीश को घेरने के साथ, अपने पाले में करने कीकोशिश कर रहे हैं. उसी कोशिश का नतीजा है, उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में गोपाल कृष्ण गांधी का नाम सामने आना.

नीतीश की होगी परीक्षा

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश के सियासी कदम की असली परीक्षा अब होगी, जब उनके सामने उपराष्ट्रपति के रूप में गोपाल कृष्ण गांधी उम्मीदवार बने हैं. जानकार कहते हैं कि गोपाल कृष्ण गांधी को जदयू का समर्थन हासिल होने के बाद उस सियासी बयानबाजी पर विराम लग जायेगा, जिसमें यह कहा जा रहाथा कि नीतीश भाजपा के साथ जाने का मन बना चुके हैं. हालांकि, जानकार यह भी कहते हैं कि नीतीश कुमार कई बार बैलेंस पॉलिटिक्स में विश्वास रखते हैं. इसलिए अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. इस बार एंटी एनडीए फ्रंट ने एनडीए के उम्मीदवार के नाम का एलान होने से पहले ही गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का एलान कर दिया. जानकार विपक्ष के इस फैसले को हर स्तर से बाजी मारने वाला फैसला करार दे रहे हैं. गोपाल कृष्ण गांधी तृणमूल, लेफ्ट और जदयू की पसंद हैं. लिहाजा, राष्ट्रपति चुनाव की तरह इस बार कांग्रेस की पसंद को बाकी विपक्षी दलों पर नहीं थोपा जा सकता.

विपक्षी एकता की परीक्षा

एंटी एनडीए फ्रंट को इस बात का पूरी तरह इल्म था कि उनके पास संख्या बल नहीं है. यदि वह इस बार भी जदयू और बाकी दलों से इतर जाकर फैसला लेते हैं, तो भविष्य में बनने वाली एकता को बड़ी चुनौती मिलेगी. अब नीतीश को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस और राजद ने महात्मा गांधी के पोते को सामने लाकर अपनी एकजुटता को फिर से खड़ा करने का काम किया है. जदयू ने राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देकर भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बन रही एकजुटता को बड़ा झटका दे दिया था. अब 18 विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार हैं गोपाल कृष्ण गांधी, जिनको जदयू का भी समर्थन मिलने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और गोपाल कृष्ण गांधी ने भी नीतीश कुमार से इस संदर्भ में नीतीश से बातचीत भी की है.

कांग्रेस का है गेम प्लान

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की बैठक में शरद यादव शामिल हुए, विदेश दौरे से लौटने के बाद राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से बात की. पांच अगस्त को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव भी काफी दिलचस्प होगा. इससे पूर्व कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने नीतीश कुमार पर राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन करने के लिए विपक्षी एकता को खराब करने का आरोप लगाया था. अब एक बार फिर, कांग्रेस ने अपनी सियासी चाल चली है और कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार इसमें फंस गये हैं. जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार गोपाल कृष्ण गांधी को समर्थन कर बैलेंस पॉलिटिक्स को तरजीह देंगे. इससे राजद को यह स्पष्ट संदेश जायेगा कि भाजपा से नीतीश दूर हैं, लेकिन तेजस्वी को लेकर उनका स्टैंड भाजपा से नजदीकी का परिणाम नहीं है, बल्कि उनकी नैतिकता वाले स्टैंड की परिणति है.

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