वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति लोगों में बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है. भोजन के बाद सामान्य एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं कर रही हैं, जिसके कारण मरीजों को अधिक शक्तिशाली दवाएं और इंजेक्शन लेने पड़ रहे हैं. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में सोमवार से एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने पर केंद्रित दो दिवसीय कार्यशाला शुरू होगी. यह जानकारी अस्पताल के प्रभारी डॉ. रविकांत ने दी. डॉ. रविकांत ने बताया कि कार्यशाला में आईजीआईएमएस, पटना की माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नम्रता विशेष तौर पर एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के कारणों और उसके समाधान पर व्याख्यान देंगी. इसके अलावा अन्य अस्पतालों के कई वरिष्ठ डॉक्टर भी इसमें भाग लेंगे. इससे पूर्व शनिवार की शाम राज्यभर के मेडिकल कॉलेजों के पैथोलॉजी तकनीशियनों की एकदिवसीय कार्यशाला भी कैंसर अस्पताल में आयोजित हुई. अस्पताल की पैथोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. जकी हसन फातिमा ने बताया कि इस कार्यशाला में कैंसर संबंधी टिश्यू की जांच, उसके प्रकार की पहचान और फैलाव को समझने से जुड़े पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन एसकेएमसीएच की प्राचार्य अधीक्षक डॉ. आभा रानी सिन्हा ने किया. मौके पर एसकेएमसीएच पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. महेश प्रसाद और कैंसर अस्पताल के प्रभारी डॉ. रविकांत भी उपस्थित थे. कार्यशाला में 80 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. तकनीशियनों को हैंड्स-ऑन सत्र में बेसिक स्टेन्स के मानकीकरण, गुणवत्ता सुधार तथा पैथोलॉजी लैब में क्वालिटी एश्योरेंस के व्यावहारिक पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया. इसके साथ ही लाइव माइक्रोस्कोपी वर्कशॉप भी आयोजित हुई, जिसमें एम्स पटना, आईजीआईएमएस और नेपाल के फैकल्टी सदस्यों ने चुनौतीपूर्ण डायग्नोस्टिक केस प्रस्तुत कर प्रतिभागियों के साथ चर्चा की.
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