मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर सहित पूरे बिहार को पानीदार बनकर रहना है तो फसल चक्र को वर्षा ऋतु से जोड़ना होगा. बिहार कभी पानी के मामले में दुनिया का गुरु था. अब गर्मी में संकट के हालात बनने लगे हैं. अच्छी बारिश के कारण जलस्तर ऊपर आया है, तो इसे बचाकर रखना होगा. यह कहना है कि जल पुरुष डा राजेंद्र सिंह का. गुरुवार को एलएस कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता जल पुरुष ने जल संरक्षण पर विशेष जोर दिया.
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वर्षा ऋतु से जोड़ें फसल चक्र तभी बचेगा भूगर्भ जल : राजेंद्र
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर सहित पूरे बिहार को पानीदार बनकर रहना है तो फसल चक्र को वर्षा ऋतु से जोड़ना होगा. बिहार कभी पानी के मामले में दुनिया का गुरु था. अब गर्मी में संकट के हालात बनने लगे हैं. अच्छी बारिश के कारण जलस्तर ऊपर आया है, तो इसे बचाकर रखना होगा. यह कहना है […]
राजेंद्र सिंह ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें धरती को अंदर से शोषण करने का पाठ ही पढ़ाया जाता है. टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग के में इसे पोषण करने का पाठ नहीं हैं. भारत में 100 साल पहले शोषण की तकनीक आयी, जबकि यूरोप के देशों में करीब ढाई सौ साल से है. फिर भी वहां भूगर्भ जल का संकट नहीं है. वे ऊपर का जल बचाकर खेती करते हैं.
हम उस तकनीक को ठीक से समझ नहीं पाये. उन्होंने कहा, नेचर के साथ लेने और देने का रिश्ता बराबर होना चाहिए. उन्होंने बरसात के पानी को रिचार्ज करने का भी सुझाव दिया. ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने अच्छी शुरुआत की है. इसे मूर्त रूप देना होगा.
अलग होना चाहिए रीवर और सीवर
जल पुरुष ने कहा कि रीवर और सीवर को सेपरेट होना चाहिए. ट्रीटमेंट के बाद गंदा पानी नदी में जाने से रोकना होगा. हमने पानी का महत्व भुला दिया, जिस कारण मुश्किल हो रही है. उन्होंने बताया कि कुल 118 एलीमेंट होते हैं, जिनमें 109 को अकेले पानी अपने अंदर डिजॉल्व करता है. पाल, ताल और झाल का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि जहां प्राकृतिक झील है, वहां ताल बनाना चाहिए. जिस गांव में पानी प्रवेश करता है, वहां पाल की व्यवस्था हो और जहां नदी बहती है, वहां झाल बनाना चाहिए.
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