मुजफ्फरपुर :पाठ्यक्रम या परीक्षा में गड़बड़ी पर अब बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द हो सकती है. एनसीटीइ (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) बीएड कॉलेज व विश्वविद्यालयों से सालाना परफाॅरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) लेगा. कॉलेज व विश्वविद्यालयों को 31 दिसंबर तक एनसीटीइ की वेबसाइट पर पीएआर अपलोड करने को कहा है. पीएआर में कॉलेज प्रबंधन या विश्वविद्यालय को ऑनलाइन सभी जानकारी देनी है.
फॉर्मेट में कुल शिक्षकों की संख्या, शिक्षकों की योग्यता, छात्रों की संख्या, कोर्स की संख्या, कोर्स की मान्यता कहां से है, पाठ्यक्रम, किताब व परीक्षा आदि की जानकारी विस्तार से भरनी है.
पीएआर के लिए हर साल
सरकारी कॉलेजों को पांच हजार और निजी कॉलेजों को 15 हजार रुपये फीस भी देनी होगी. कॉलेजों से जो रिपोर्ट ऑनलाइन भेजी जायेगी, उसका फिजिकल वेरीफिकेशन करने के लिए टीम आयेगी. उसमें किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर कॉलेज की मान्यता भी रद्द हो सकती है.
एनसीटीइ एक्ट में हुआ बदलाव
केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एनसीटीइ एक्ट में बदलाव किया है. एक्ट के सेक्शन 17(1) में बदलाव किया गया है, जिसके बाद देशभर के सभी साढ़े 19 हजार बीएड कॉलेज जांच के दायरे में आ गए हैं. एनसीटीइ एक्ट 1996-97 में बना था. इसके प्रावधान के तहत ही बीएड कॉलेजों को मान्यता दी जाती है. एक्ट में बदलाव के बाद कॉलेजों में छात्रों-शिक्षकों के साथ ही पाठ्यक्रम, किताब और अटेंडेंस की भी जांच होगी. स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ ही अच्छे शिक्षक तैयार करने के उद्देश्य से एनसीटीइ एक्ट लागू किया गया था.
जांच न होने से बढ़ी कॉलेजों की मनमानी
एनसीटीइ ने 1997 से 2019 तक बिहार सहित देश भर में हजारों बीएड कॉलेजों को बीएड डिग्री प्रोग्राम और डिप्लोमा की पढ़ाई कराने की मंजूरी तो दी, लेकिन कभी कॉलेजों की जांच नहीं की. इसके चलते बीएड कॉलेजों की मनमानी बढ़ती गयी. मुजफ्फरपुर सहित सूबे के सैकड़ों बीएड कॉलेजों में खुलेआम पैसे के दम पर बीएड कोर्स चलाया जाता है, जिसकी रिपोर्ट पिछले साल बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से भी भेजी गयी थी. हालांकि, संबंधित मामले में एनसीटीइ के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी.