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पेंट के बिल पर डीजल अनुदान का आवेदन
मुजफ्फरपुर : डीजल अनुदान का फर्जी ढंग से लाभ लेने के लिए किसान तरह-तरह के फर्जी हथकंडे अपना रहे हैं. डीजल अनुदान के लिए दाखिल ऑनलाइन आवेदन में पेट्रोल पंप की जगह पेंट के बिल उपयोग किया जा रहा है. कहीं, पेट्रोल पंप के नाम के बिना ही बिल, तो कहीं बिना राशि लिखा मैनुअल […]
मुजफ्फरपुर : डीजल अनुदान का फर्जी ढंग से लाभ लेने के लिए किसान तरह-तरह के फर्जी हथकंडे अपना रहे हैं. डीजल अनुदान के लिए दाखिल ऑनलाइन आवेदन में पेट्रोल पंप की जगह पेंट के बिल उपयोग किया जा रहा है. कहीं, पेट्रोल पंप के नाम के बिना ही बिल, तो कहीं बिना राशि लिखा मैनुअल बिल जमा किया जा रहा है. जिले के किसान खेत से 50 किलोमीटर दूर वाले पेट्रोल पंप का बिल भी दे रहे हैं.
हर दिन नये तरीके से फर्जीवाड़ा का खुलासा हो रहा है. कहीं-कहीं, बिना धान रोपनी वाले खेत पर भी फर्जी बिल लगाकर भुगतान के लिए आवेदन किया गया है. लेकिन जांच में पूरा मामला पकड़ा जा रहा है. हालांकि, फर्जी बिल पर भुगतान होने की आशंका से कृषि विभाग परेशान हो गया है. डीएओ डॉ केके वर्मा ने इस पर सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है.
उन्होंने सभी कृषि समन्वयकों को डीजल अनुदान के आवेदन की गहनता से जांच करने के बाद ही अग्रसारित करने का आदेश जारी किया है. वहीं, जिला कृषि कार्यालय में डीजल अनुदान के आवेदन की जांच करने के लिए तैनात कंप्यूटर ऑपरेटरों को भी सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है. डीएओ खुद सभी आवेदन की सतर्कता से जांच कर रहे हैं. डीएओ ने बताया कि जांच में गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है. ऐसे आवेदन को निरस्त कर दिया जा रहा है.
अभी तक गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है. ऐसे पूरे मामले में सतर्कता बरतने का आदेश दिया गया है.
बिल देने को पेट्रोल पंप संचालक ले रहे पैसे
डीजल अनुदान के लिए फर्जी बिल के बदले पेट्रोल पंप कर्मी पैसे ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि डीजल अनुदान का बिल देने के लिए पेट्रोल पंप कर्मी 25 से 50 रुपये तक ले रहे हैं. इस तरह के कई मामले सामने आये हैं. कई रसीद में किसान का नाम व राशि अंकित नहीं है. इसके बाद इस तरह की आशंका को बल मिलने लगा है. एक एकड़ के लिए 10 लीटर व एक लीटर पर 50 रुपये का अनुदान मिलता है.
जांच में कृषि समन्वयक को होती है परेशानी
डीजल अनुदान की जांच में कृषि समन्वयक को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जांच के दौरान पकड़ में आने के बाद आवेदन को रद्द करने पर कृषि समन्वयकों को किसानों का कोपभाजन बनना पड़ता है. गड़बड़ी वाले आवेदन को रद्द करने पर कृषि समन्वयक को धमकी भी मिली है. कई कृषि समन्वयक ने डीएओ को इस परेशानी से अवगत कराया है.
सर्वर डाउन व कर्मियों की कमी से आवेदन प्रक्रिया धीमी
सत्यापन की गति में तेजी नहीं होने से जिला कृषि कार्यालय में डीजल अनुदान का आवेदन लगातार बढ़ता जा रहा है. जिला कृषि कार्यालय में करीब 30 हजार से अधिक आवेदन आ चुका है. इसमें 20 हजार से अधिक आवेदन पंचायत व प्रखंड स्तर पर लंबित है. प्रत्येक दिन करीब दो हजार आवेदन डीएओ के लॉगिन पर सत्यापन के लिए पहुंच रहा है. विभागीय व्यस्तता के बीच डीएओ एक आवेदन को सत्यापन करने में 15 मिनट का समय लग रहा है. इधर, कृषि विभाग दो स्तर किसानों के आवेदन को सत्यापित करा रहा है. जिला स्तर पर मैनपावर की कमी और लिंक फेल होने के कारण लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पंचायत स्तर पर आवेदन का पहला सत्यापन हो रहा है जो कृषि समन्वयक कर रहे हैं. दूसरा सत्यापन जिला कृषि अधिकारी स्तर से हो रहा है.
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