जमालपुर. मानसून के पूर्व बड़े नाले की सफाई की जा रही है, परंतु नगर परिषद क्षेत्र में एक वार्ड ऐसा भी है. जहां जल निकासी की समस्या बरकरार है. जिसके कारण जल जमाव की स्थिति रहती है और क्षेत्र में मच्छर का प्रकोप भी बना रहता है. यह हाल है वार्ड संख्या 6 स्थित सिकंदरपुर का. जहां जल निकासी के लिए रेलवे के 213 नंबर पुल का उपयोग कई दशकों से किया किया जा रहा था, परंतु वाई-लेग बनने के समय से इस 213 नंबर पुल से होकर जल प्रवाह को रेलवे द्वारा रोक दिया गया है. जिसके कारण ऐसी समस्या बनी है.
नप ने किया नाला निर्माण का प्रयास, रेल ने एनओसी के लिए मांगे 1.67 करोड़
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि रेल पुल संख्या 213 के नीचे नाला निर्माण के लिए रेलवे ने अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के एवरेज में एक करोड़ 67 लाख 13 हजार 492 रुपए की मांग की है. इस राशि का भुगतान के बाद ही रेलवे अनापत्ति प्रमाण पत्र नगर परिषद जमालपुर को सौंप देगा. यह मामला कई वर्षों से चल रहा है. इस मामले में मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी निष्पादन का आदेश दिया था. लोगों ने उनको बताया था कि जल जमाव की वजह से बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है. लोगों की बातों को गंभीरता से लेते हुए सांसद ने जिला अधिकारी को पूरे मामले का समाधान करने की बात कही थी. जिला अधिकारी ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को स्थल निरीक्षण कर पूरे मामले से अवगत कराने का निर्देश दिया था. तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी पूजा माला ने स्थल का निरीक्षण कर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजा था. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 5 वार्ड के घर से निकलने वाले पानी की निकासी के लिए नाला निर्माण की आवश्यकता है. नाला निर्माण रेलवे की जमीन पर होना है, इसलिए रेलवे से एनओसी मांगी गई. डीएम के आदेश पर कार्यपालक पदाधिकारी ने रेलवे को पत्राचार करते हुए नाला निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की थी. इसपर रेलवे के सहायक नगर अभियंता ने नगर परिषद को पत्र भेजकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लैंड लीज चार्ज के रूप में 1.67 करोड़ की मांग की. स्थानीय पार्षद कुमुद देवी ने बताया कि रेलवे ने ही इस नाला को बंद किया है. जब नगर परिषद नाला निर्माण के लिए राजी हुआ तो अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए मोटी रकम की मांग की है. जिसके कारण मामला अटका पड़ा हुआ है.
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