Chanakya Niti: दुनिया के सभी लोगों को धन दौलत के साथ साथ इज्जत भी चाहिए होती है. क्योंकि इंसान का व्यवहार और उनकी आदतें भविष्य के हर कदम पर बड़ी भूमिका निभाती है. कहा भी जाता है इज्जत बनने में काफी समय लगता है लेकिन इसे गंवाने में पल भर भी नहीं लगता है. इसलिए अपनी इज्जत को बनाए रखने के लिए हर इंसान अपने दिनचर्या में सावधानी से कोई भी कदम उठाता है, ताकि उनकी इज्जत बनी रहे. लेकिन जानें अनजाने में कई बार वह ऐसा कदम उठा लेता है जिसके चलते परिवार, समाज और कार्यस्थल पर उनका सम्मान घट जाता है. चाणक्य ने हजारों साल पहले इंसान को उन आदतों से दूर रहने के लिए कहा था जो हर जगह पर जगहंसाई की वजह बनती है. आइये जानते हैं वह कौन कौन सी आदत है.
जरूरत से ज्यादा बोलना
चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति हर बात में बोलने की कोशिश करता है, उसकी गंभीरता खत्म होने लगती है. अनावश्यक बोलना न केवल गलतफहमियां पैदा करता है, बल्कि व्यक्ति की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है. समझदार वही माना जाता है, जो समय और परिस्थिति देखकर बोले.
गुस्से पर नियंत्रण न होना
आपने बड़े बुजुर्गों के मुंह से अक्सर सुना होगा ज्यादा गुस्सा विनाश का कारण बनता है. आचार्य चाणक्य ने भी अत्याधिक क्रोध को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु बताया है. बार-बार गुस्सा करने वाला व्यक्ति अपने ही शब्दों और व्यवहार से अपना सम्मान खो देता है. ऑफिस हो या परिवार, क्रोध से लिया गया निर्णय अक्सर पछतावे का कारण बनता है.
लालच और स्वार्थ की भावना
चाणक्य नीति में कहा गया है कि अत्याधिक लालच इंसान को नैतिकता से दूर ले जाता है. जब व्यक्ति हर काम में अपना स्वार्थ देखने लगता है, तो लोग उस पर भरोसा करना बंद कर देते हैं. इससे आम लोगों की धारणा बदल जाती है और मन सम्मान की जगह शक और दूरी पैदा हो जाती है.
समय की कीमत न समझना
जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं समझता, वह दूसरों की नजर में गैर-जिम्मेदार माना जाता है. चाणक्य के अनुसार समय पर किया गया काम इंसान को सम्मान दिलाता है, जबकि टालमटोल करने की आदत उसकी विश्वसनीयता कम कर देती है.
अहंकार और दिखावा
चाणक्य नीति में अहंकार को पतन का कारण बताया गया है. जरूरत से ज्यादा घमंड और दिखावा करने वाला व्यक्ति शुरुआत में प्रभाव छोड़ सकता है, लेकिन समय के साथ उसका वास्तविक रूप सामने आ जाता है, जिससे उसका सम्मान घटने लगता है.
नकारात्मक सोच और शिकायत की आदत
हर बात में शिकायत करना और नकारात्मक नजरिया रखना भी सम्मान को नुकसान पहुंचाता है. चाणक्य के अनुसार समाधान पर ध्यान देने वाला व्यक्ति ही समाज में आदर पाता है, जबकि शिकायत करने वाला शख्स खुद की कमजोरी उजागर है.
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