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खैरा गांव के लोग अब नहीं होंगे अपंग, यहां भी बजेगी शहनाई

मुंगेर मुख्यालय से 50 किलोमीटर पर स्थित खैरा गांव के लोग अब अपंग नहीं होंगे. उन्हें फ्लोराइड रहित शुद्ध पेयजल मिलेगा. मंगलवार को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधिवत फ्लोराइड रहित जलापूर्ति योजना का उद‍्घाटन किया जायेगा और इसके साथ ही इस गांव को फ्लोराइड के कलंक से मुक्ति मिल जायेगी. अब तक सैकड़ों […]

मुंगेर मुख्यालय से 50 किलोमीटर पर स्थित खैरा गांव के लोग अब अपंग नहीं होंगे. उन्हें फ्लोराइड रहित शुद्ध पेयजल मिलेगा. मंगलवार को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधिवत फ्लोराइड रहित जलापूर्ति योजना का उद‍्घाटन किया जायेगा और इसके साथ ही इस गांव को फ्लोराइड के कलंक से मुक्ति मिल जायेगी. अब तक सैकड़ों की संख्या में लोग यहां फ्लोराइड युक्त पानी पीने से अपंग हो चुके हैं. वहीं बड़ी संख्या में आज भी यहां के युवा जवानी में ही बूढ़े हो गये.

अब इस गांव के बेटे के घर शहनाई भी बजेगी और बेटियों की डोलियां भी उठेंगी.

मुंगेर : खड़गपुर प्रखंड के खैरा गांव के लोग कई दशकों से फ्लोराइड प्रभावित जल, दूध व अनाज ग्रहण करते रहे हैं. जिसके कारण इस गांव की 90 प्रतिशत आबादी फ्लोरोसिस नामक बीमारी की चपेट में आ गये. दशकों तक लोगों को पता ही नहीं चल रहा था कि आखिर यहां के युवा जवानी में ही बूढ़े क्यों हो रहे. उनके हड्डी क्यों अकड़ रहे हैं और असमय ही हड्डी व दांत के अनेक रोगों के शिकार हो रहे. कारण था कि यहां के पानी में भारी मात्रा में फ्लोराइड है. जिसके सेवन से लोग बीमार होते चले जा रहे थे.
आगमन को लेकर तैयारी पूरी, चकाचक हुआ गांव भी
1998 में पहली बार हुई थी पानी में फ्लोराइड की पुष्टि
खैरा गांव सन 1998 में उस समय चर्चा में आया जब गांव के राम नरेश शर्मा 1996 में बीमार होने के बाद दिल्ली एम्स में इलाज के लिए भर्ती हुआ था. वहां के चिकित्सकों ने रामनरेश का गहन परीक्षण किया तो पाया गया कि फ्लोराइड युक्त जल ग्रहण करने के कारण रामनरेश फ्लोरोसिस नामक बीमारी से पीड़ित है. दिल्ली आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने मुंगेर के जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी थी और फिर दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों की टीम ने जब खैरा गांव का दौरा किया तो पता चला कि यहां के पानी फ्लोराइड की मात्रा 5 से 10 पीपीएम है.
सरकारी स्तर पर हुआ प्रयास
गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सर्वप्रथम खैरा गांव में एक सरफेस बोरिंग कराया गया लेकिन वह सफल नहीं रहा. बाद में वहां के दर्जन भर चापानल में पानी शुद्ध करने के लिए केमिकल सिलेंडर लगाये गये. इसके अलावा सोलर ट्रीटमेंट प्लांट, जलमीनार, पेयजल एटीएम कई कदम उठाये गये. लेकिन समस्या कम न हो सका. 5 जून 2010 को मुख्यमंत्री विकास यात्रा के दौरान खैरा गांव पहुंचे और यहां के निवासियों की समस्याओं से अवगत होकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए खड़गपुर झील से खैरा गांव तक शुद्ध पेयजल लाने के लिए 32 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास किया. 30 मई को मुख्यमंत्री खड़गपुर झील से पाइपलाइन के माध्यम से खैरा गांव के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजनाओं का उद्घाटन करेंगे.
जा चुकी हैं कई जानें
पिछले एक दशक में इस बीमारी की चपेट में आकर कई जानें जा चुकी है. विजय शाह 52 वर्ष, सुमित यादव 65 वर्ष, उमेश शाह 55 वर्ष, अनीता देवी 45 वर्ष, महेश्वर मंडल 50 वर्ष, चमेली देवी 50 वर्ष, सुखिया देवी 50 वर्ष, बागेश्वरी देवी 40 वर्ष, भागो सिंह 50 वर्ष, मौली यादव 35 वर्ष राजपाल यादव 45 वर्ष की मृत्यु हो चुकी है.
अब भी कई नि:शक्त
खैरा गांव में अभी कई लोग हैं जो नि:शक्तता की शिकार होकर मृत्यु से लड़ रहे हैं इसमें किरानी यादव 40 वर्ष, इंद्र देव मंडल 42 वर्ष, कैलाश पति शर्मा 60 वर्ष, जगदंबा देवी 55 वर्ष, सुभद्रा देवी 60 वर्ष, दिनेश मंडल, कारे काल दास, रामदेव मांझी आदि शामिल हैं.

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