मुंगेर : योग नगरी मुंगेर एवं बिहार स्कूल ऑफ योगा ने दुनिया के 40 देशों में सत्यानंद योग पद्धति को स्थापित किया और इसके माध्यम से न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है. आज फ्रांस की शिक्षा पद्धति में स्वामी सत्यानंद योग की पढ़ाई हो रही.
जबकि योग रिसर्च के माध्यम से इसमें नित्य नये अध्याय जुड़ रहे हैं.
योग को वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ दुनिया में स्थापित करने वाले स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था कि ” योग विद्या भारत की सबसे प्राचीन संस्कृति एवं जीवन पद्धति है, इसी विद्या के बल पर मनुष्य सुखी, समृद्ध एवं स्वस्थ जीवन बीता सकते हैं. इसलिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए. ” आज कोई भी देश, द्वीप, नगर ऐसा नहीं जहां के महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में योग नहीं सिखलाया जाता हो. इसका श्रेय स्वामी सत्यानंद सरस्वती को है
जो 20 वीं शताब्दी के अंत तक योग को पूरे विश्व में फैलाने में सफल हुए. सन् 1973 में मुंगेर में प्रथम विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से देश व दुनिया का ध्यान योग की ओर केंद्रित किया. पुन: प्रत्येक 20 वर्षों पर विश्व योग सम्मेलन की श्रृंखला चल रही है.
सिलेबस में शामिल हुई सत्यानंद योग पद्धति: फ्रांस में स्वामी सत्यानंद के योग पद्धति को सिलेबस में शामिल किया गया है. फ्रांस के विद्वान शिक्षाविद भक्ति सरस्वती ने कहा कि फ्रांस में धर्म व अध्यात्म पर आधारित शिक्षा पूरी तरह वर्जित है. किंतु योग के महत्व एवं उससे होने वाले अलौकिक परिवर्तन को स्वीकारते हुए सरकार ने स्कूलों के सिलेबस में सत्यानंद योग पद्धति को शामिल किया है. इससे बच्चों में सजगता, एकाग्रता की वृद्धि हो रही है.