परेशानी : बिना दरवाजा का ही है महादलितों का शौचालय * झुग्गी-झोपड़ी व डिस्को चटाई टांग कर रहते हैं महादलित फोटो संख्या : 1,2 फोटो कैप्सन : बिना दरवाजा का शौचालय व नाले के अभाव में खुले में बहता पानी प्रतिनिधि, मुंगेर मुंगेर शहर के मध्य स्थित बेटवन बाजार अड़गरा में पिछले पांच दशक से रहने वाले महादलितों को सामान्य नागरिक सुविधा उपलब्ध नहीं है. रहने के लिए मिट्टी व ईंट के दीवार पर प्लास्टिक व डिस्को चटाई की व्यवस्था है तो पीने के लिए जो चापाकल लगाये गये हैं उससे गंदा पानी निकलता है. यूं तो समरसेबल लगा प्याऊ की व्यवस्था की गयी है. किंतु जल निकासी नहीं होने से पूरा क्षेत्र पानी व गंदगी से तर-बतर रहता है. मुंगेर शहर के महापौर कुमकुम देवी के मुहल्ले में स्थित इन महादलितों को आजादी के बाद अबतक विकास का लाभ नहीं मिल पा रहा. आजादी के बाद टाटा कंपनी द्वारा समाज के अंतिम तबके के गरीब एवं नि:सहाय लोगों के लिए यहां भूमि व आवास की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन इसका रखरखाव सही ढंग से नहीं हुआ और अब यह झुग्गी-झोपड़ी का शक्ल धारण कर चुका है. बदहाली यह है कि सरकार भले ही महादलितों के लिए घोषणा पर घोषणाएं कर रही हो लेकिन राशन-किरासन का लाभ भी बहुतों को नहीं मिल रहा. गंदगी के बीच रहने को विवश हैं महादलित महादलितों की इस बस्ती में गंदगी व्याप्त है. भले ही नगर निगम में ठेकेदार मजदूर के रूप शहर की सफाई में यहां के लोग लगे रहते हैं. किंतु खुद का इलाका गंदा है. महादलित संजय राउत, चंदन मांझी, धर्मेंद्र राउत, सीताराम मांझी, अशोक कुमार, विनय राम का कहना है कि हमारे पूर्वज यहां आजादी के समय से रहते आ रहे हैं. इतने दिनों बाद भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. नगर निगम द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उनलोगों को नहीं मिल रहा. यहां के कुछ लोगों के पास सिर्फ राशन-किरासन कार्ड उपलब्ध है. जिस पर तेल मिलता है. इसके अतिरिक्त 6 चापाकल है. जिसमें 4 चापाकल चालू है और उससे गंदा पानी निकलता है. इन लोगों का कहना है कि पूर्व में हमलोगों के आवास के लिए सर्वे किया गया था. जिसमें 10-12 लोगों का नाम भी आया और उसका खाता भी खोला गया. लेकिन जमीन का कागज नहीं रहने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाया. फलत: वे लोग ईंट मिट्टी का दीवार पर डिस्को चटाई व पन्नी टांग कर रहते हैं. ——————-कहते हैं महादलित ——————-शौचालय में नहीं है दरवाजा फोटो : विनय राउत विनय राउत ने बताया कि इस वार्ड 10 कमरे का शौचालय तो है लेकिन उसमें दरवाजा नहीं है. परदा टांग कर उसमें यहां स्त्री-पुरुष को शौच जाना पड़ता है. इसके लिए कई बार मेयर को भी कहा गया लेकिन आजतक कोई पहल नहीं की गयी. ——————–नाले की भी नहीं है सुविधा फोटो : फूलो देवी फूलो देवी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से हमलोग यहां रह रहे हैं. नगर निगम द्वारा यहां न तो नाले की सुविधा दी गयी है और न ही आवास की. केवल राशन-किरासन मिलता है और इसके अलावे किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है. किसी तरह से घर का पानी बहाते हैं. ———————–सुविधा नाम की कोई चीज नहीं फोटो : कन्हैया कुमार कन्हैया कुमार का कहना है कि यहां लोग पन्नी व झुग्गी बना कर रह रहे हैं. पीने के लिए एक मात्र समरसेबल लगाया गया और शेष चापाकल है जिससे गंदा पानी निकलता है. न तो नाली की सुविधा है और न ही शौचालय. जबकि हमलोग यहां कई वर्षों से रह रहे हैं. फिर भी सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है. ———————-झुग्गी में रहने को विवश हैं महादलित फोटो : मंसूर राउत मंसूर राउत ने बताया कि पिछले कई दशक से हमलोग यहां झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. आवास के लिए नगर निगम द्वारा सर्वे भी कराया गया. उसके बाद लिस्ट में नाम भी आया और खाता भी खोला गया. लेकिन किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया गया और नाम काट दिया. आजतक किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं दी गयी. —————————-कहते हैं मेयर मेयर कुमकुम देवी का कहना है कि छह माह पूर्व ही दरवाजा लगाया गया है. दो-तीन दिन में सफाइकर्मी को भेज कर शौचालय साफ कराया जाता है. उनके आवास के लिए भी डीपीआर तैयार कर लिया गया है. जिसमें 56 लोगों का नाम आ चुका है. जिसे जल्द ही आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा.
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परेशानी : बिना दरवाजा का ही है महादलितों का शौचालय
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