त्रिपुरारी मिश्रा, मुंगेर : एक ओर जहां आयुष मंत्रालय भारत सरकार मरीजों को आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक पद्धति से चिकित्सा का लाभ पहुंचाने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिले के आला अधिकारियों की अनदेखी के कारण मरीजों को इसका रत्ती भर भी लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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देसी चिकित्सालय में एक साल से लटका है ताला, नहीं किया जा रहा मरीजों का इलाज
त्रिपुरारी मिश्रा, मुंगेर : एक ओर जहां आयुष मंत्रालय भारत सरकार मरीजों को आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक पद्धति से चिकित्सा का लाभ पहुंचाने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिले के आला अधिकारियों की अनदेखी के कारण मरीजों को इसका रत्ती भर भी लाभ नहीं मिल पा रहा […]
सदर अस्पताल के समीप स्थित जिला संयुक्त औषधालय देशी चिकित्सालय में पिछले एक साल से ताला लगा हुआ है. यहां न तो कोई चिकित्सक बैठक हैं और न ही जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी. यहां के पदाधिकारी तथा चिकित्सक पिछले एक साल से दी टेम्पुल हनिमैन होमियोपैथिक कॉलेज सह अस्पताल में डेपुटेशन पर हैं.
जिसके कारण देशी चिकित्सालय में मरीजों को लंबे समय से आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक पद्धति से चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. हाल यह है कि देशी चिकित्सालय में पूर्व से रखी हुई दवाइयां जहां बर्बाद होने के कगार पर है, वहीं चिकित्सालय बंद रहने के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 में दवा के लिए आवंटित लगभग 5 लाख रुपये विभाग को वापस लौट गया.
देशी चिकित्सालय में एक साल से लटका है ताला: जिला संयुक्त औषधालय देशी चिकित्सालय पिछले एक साल से भी अधिक समय से बंद पड़ा हुआ है. जिस पर न तो स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान जा रहा है और न ही जिले के आलाधिकारियों का.
मालूम हो कि 20 फरवरी 2018 को तत्कालीन जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह ने जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ डीएन चौधरी, होमियोपैथ चिकित्सक डॉ प्रदीप राय, यूनानी चिकित्सक डॉ आबीद असगर तथा आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मो. अलाउदीन को डेपुटेशन पर दी टेम्पुल हनिमैन होमियोपैथिक कॉलेज सह अस्पताल में प्रतिनियोजित कर दिया. जिसके कारण देशी चिकित्सालय में न तो कोई पदाधिकारी बचे और न ही कोई चिकित्सक, तब से आज तक देशी चिकित्सालय में ताला लगा हुआ है.
मरीजों को नहीं मिल रहा देशी चिकित्सालय का लाभ: जिले भर में हजारों लोग ऐसे हैं, जो एलोपैथिक पद्धति से इलाज न करवा कर आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक पद्धति से ही इलाज करवाना पसंद करते हैं. यही कारण है कि 20 फरवरी 2018 के पूर्व तक देशी चिकित्सालय में इलाज को पहुंचने वाले मरीजों की काफी भीड़ रहती थी.
किंतु जब से यहां के पदाधिकारी सहित सभी चिकित्सकों को होमियोपैथ कॉलेज में डेपुटेशन पर रखा गया है, तब से मरीजों को देशी चिकित्सालय का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण मरीजों को मजबूरी में आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक पद्धति से इलाज करवाने के लिए निजी क्लिनिकों का सहारा लेना पड़ रहा है.
पदाधिकारी व चिकित्सकों को नहीं किया जा रहा विरमित: जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि जिस समय उनलोगों को डेपुटेशन पर होमियोपैथ कॉलेज भेजा गया था, उस समय तत्कालीन जिलाधिकारी ने कहा था कि आयुष मंत्रालय की टीम द्वारा कॉलेज का जांच होने वाला है.
इसी कारण से उनलोगों को वहां भेजा गया है, ताकि जांच रिपोर्ट में कोई कमी न पायी जाये और कॉलेज का रजिस्ट्रेशन समाप्त न हो. किंतु जब टीम द्वारा जांच की प्रक्रिया पूरी हो गयी और रिपोर्ट भी कॉलेज के पक्ष में ही गया. तब उन्होंने फिर से तत्कालीन जिलाधिकारी से मुलाकात कर स्वयं को तथा बांकी चिकित्सकों को विरमित करने की अपील की.
किंतु कुछ ही दिन बाद उनका स्थानांतरण हो गया. उसके बाद फिर वे नये जिलाधिकारी आनंद शर्मा के पास पहुंचे और उनसे भी विरमित करने की अपील की. किंतु कुछ ही दिन बाद उनका भी स्थानांतरण हो गया. इस बार फिर वे वर्तमान जिलाधिकारी राजेश मीणा से मिले तथा विरमित करने की अपील की है, किंतु अब तक उन्हें विरमित नहीं किया गया है.
कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा कि तत्काल दो चिकित्सक को होमियोपैथ कॉलेज से विरमित कर दिया जायेगा. जिससे दोनों जगहों पर काम चलता रहे. इस मामले से संबंधित फाइल को देख कर जल्द ही निर्णय लिया जायेगा.
बेकार पड़ी है लाखों की दवा, लौट गया आवंटन
देशी चिकित्सालय में इन दिनों लाखों की दवाइयां बेकार पड़ी है और यही हाल रहा तो वह बर्बाद भी हो सकती है. इस संबंध में जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ डीएन चौधरी ने बताया कि जिस समय उन्हें तथा बांकी चिकित्सकों को डेपुटेशन पर होमियोपैथ कॉलेज भेजा गया था, उस समय देशी चिकित्सालय में लगभग 4 लाख रुपये की दवाइयां पड़ी हुई थी, जो कि फिलहाल वहां पर बेकार पड़ा हुआ है.
इसके अलावे वित्तीय वर्ष 2018-19 में फिर से विभाग द्वारा 5 लाख रुपये दवा के लिए आवंटित किये गये. किंतु देशी चिकित्सालय बंद रहने के कारण दवा के लिए आवंटित रुपये मार्च में विभाग को वापस लौटा दिया गया.
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