मुंगेर : जेल से मोबाइल के माध्यम से अपराध संचालित होने की लगातार मिल रही सूचना पर जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह के नेतृत्व में मंगलवार को विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया. ढाई घंटे के सर्च अभियान में मात्र दो पैन ड्राइव एवं एक कार्ड रीडर मिला. जिस पर सवाल भी उठ रहा कि आखिर पैन ड्राइव व कार्ड रीडर मिला तो मोबाइल कहां गायब हो गया. एसी भी चर्चा है कि छापेमारी की सूचना पहले ही लीक हो चुकी था और अधिकारियों के जेल पहुंचने से पहले ही मोबाइल को ठिकाने लगा दिया गया.
छापेमारी में एसपी आशीष भारती, एएसपी हरिशंकर प्रसाद, एसडीओ डॉ कुंदन कुमार शामिल थे.जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह के नेतृत्व में सुबह 4:15 बजे पूरी टीम जेल के अंदर गयी. जेल में चार टीम बनाकर सर्च अभियान चलाया गया. ढाई घंटे तक चली मैराथन सर्च अभियान में वार्ड संख्या 10 ए में जहां दो पैन ड्राइव मिला. वहीं 10 बी में एक कार्ड रीडर बरामद किया गया. 10 ए में जहां चंदन यादव बंद है, वहीं 10 बी में सुदर्शन यादव बंद है. जो कुख्यात पवन मंडल का शागिर्द है. इस मामले में जेलर के बयान पर कोतवाली थाना में मामला दर्ज कराया गया है.
सूचना हुई थी लीक, सतर्क हो गये कैदी
बताया जाता है कि गहन छापेमारी की सूचना लीक हो गयी थी. यही कारण है कि कैदियों ने छापेमारी दल के पहुंचने से पहले ही मोबाइल, सिम कार्ड एवं चाजर्र को ठिकाने लगा दिया. जबकि जेल के वार्ड से दो पैन ड्राइव एवं एक कार्ड रीडर बरामद किया गया. जो सवाल खड़ा कर रहा है कि आखिर जेल के अंदर पैन ड्राइव व कार्ड रीडर कैसे पहुंचा. बताया जाता है कि पैन ड्राइव व कार्ड रीडर का उपयोग एंड्राॅयड मोबाइल में प्रयोग किया जाता है. इससे साफ प्रतीत होता है कि जेल में मोबाइल कैदियों के पास है, लेकिन सूचना मिलते ही मोबाइल को हटा दिया गया. जिसके कारण एक भी मोबाइल बरामद नहीं हुआ.
जबकि जेल के अंदर जब भी छापेमारी हुई है तब मोबाइल मिला है. हाल के दिनों में दो-दो दोहरे हत्याकांड की रणनीति भी जेल में बनी थी और जेल के अंदर बैठा अपराधी मोबाइल से ही बाहर अपने गुर्गों से घटना को अंजाम दिलाया. जमालपुर में हुए दोहरे हत्याकांड में तो जेल में बंद कुख्यात अपराधी अमित मंडल को साजिशकर्ता के तौर कांड में अभियुक्त भी बनाया गया है. बावजूद सर्च अभियान में मोबाइल की बरामदगी नहीं हो पायी.