सड़कों पर कचरे के कारण वाहन चलाना भी मुश्किल
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नयी सफाई व्यवस्था पर एनजीओ का डाका, हर ओर पसरा है कचरा
सड़कों पर कचरे के कारण वाहन चलाना भी मुश्किल मुंगेर : मुंगेर शहर के लोग अब यह पूछने लगे हैं कि आखिर शहर कब क्लीन होगा. क्योंकि नगर निगम की नयी सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह ध्वस्त नजर आ रही है. सड़कों पर कूड़ों का ढेर लगा है और नालियां बजबजा रही है. डोर टू […]
मुंगेर : मुंगेर शहर के लोग अब यह पूछने लगे हैं कि आखिर शहर कब क्लीन होगा. क्योंकि नगर निगम की नयी सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह ध्वस्त नजर आ रही है. सड़कों पर कूड़ों का ढेर लगा है और नालियां बजबजा रही है. डोर टू डोर कचरा का संग्रह वही पुराने ढर्रे पर हो रहा है, जिसमें कुछ खास घरों से ही कचरा का संग्रह किया जाता है. लोगों को उम्मीद थी कि नयी सफाई व्यवस्था, जिसके तहत अलग-अलग एनजीओ को सफाई की जिम्मेदारी दी गयी है शायद कामयाब होगी. उनका शहर साफ व स्वच्छ दिखेगा.
लेकिन स्थिति बदहाल है. चाहे तोपखाना बाजार दारूगोदाम रोड हो या शीतला स्थान रोड, मकससपुर तेल गोदाम, मनिया चौराहा, शास्त्री चौक अथवा महद्दीपुर ब्राह्मण टोला का मुख्य पथ. सभी जगह कूड़ों का ढेर लगा है. हाल यह है कि कचरा के ढेर के कारण सड़क सकरी हो गयी है और वाहनों का चलना मुश्किल हो रहा.
हड़ताल खत्म होने के बाद लोगों में जगी थी उम्मीद: शहर की सफाई व्यवस्था को देख अनुमान लगाया जा रहा है कि एनजीओ से सफाई का कार्य नहीं संभल रहा है. शहर में हर ओर कचरा जमा है. वार्ड पार्षद भी निगम की सफाई व्यवस्था से परेशान हैं और चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है. दो माह बाद 10 फरवरी को एनजीओ के सफाइकर्मियों की हड़ताल खत्म हुई, तो लोगों को उम्मीद जगी कि अब शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार होगा. लेकिन आज भी स्थिति बेहतर नहीं है. क्योंकि कूड़ों का उठाव जिस रफ्तार से हो रहा है वह अत्यंत ही चिंताजनक है. हां, कुछ स्थानों पर नालों से कचरा जरूर निकाला गया है. चाहे वह बड़ा बाजार हो या फिर टाउन हॉल मुख्य पथ. इन स्थानों पर भी नाला से कचरा निकाल कर जमा कर दिया गया है. लेकिन मुहल्लों की स्थिति अब भी बदतर है.
जेसीबी के बजाय मजदूर उठा रहा कूड़ा
बताया जाता है कि नगर निगम में सफाई कार्य के लिए एक जेसीबी का उपयोग हो रहा है. फलत: अधिकांश स्थानों पर मजदूर ही कूड़ा का उठाव कर ट्रैक्टर पर डालता है. इसके कारण कूड़ा उठाव स्पीड नहीं पकड़ पा रहा और शहर में गंदगी का अंबार दिखने लगा है. बताया जाता है कि 1-15 एवं 31-45 वार्ड में एनजीओ द्वारा जेसीबी के माध्यम से कूड़ा का उठाव नहीं किया जा रहा है. बल्कि मैनुअल तरीके से कूड़ा का उठाव किया जा रहा है. जबकि निगम द्वारा एक जेसीबी उपलब्ध करा पाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है और शहर में कूड़ों का ढेर लगा है. अब एनजीओ की परेशानी बढ़ गयी है कि आखिर में एक जेसीबी से एक ही एनजीओ द्वारा कूड़ा उठाव किया जा सकता है. इसलिए 16-30 वार्ड में लगे एनजीओ द्वारा जेसीबी से कूड़ा का उठाव किया जा रहा है. जबकि दो अन्य एनजीओ द्वारा मैनुअल कूड़ा उठाव होने से परेशानी हो रही है.
कहते हैं पूर्व वार्ड पार्षद
पूर्व वार्ड पार्षद मो शाहिद ने कहा कि निगम की नयी सफाई व्यवस्था अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. वर्तमान सफाई व्यवस्था बद से बदतर है. एक स्पॉट की सफाई के लिए दस बार फोन करना पड़ता है. वहीं पूर्व पार्षद अनिल सिंह ने कहा कि नयी सफाई व्यवस्था नीति ही गलत है. यह व्यवस्था जो लागू की गयी, इससे पूर्व विशेष बैठक बुलाकर पार्षदों के साथ मंथन करना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और शहर को जानबूझ कर गंदगी के ढेर पर धकेल दिया गया.
इन स्थानों पर लगा है कूड़े के ढेर
शहर में तोपखाना बाजार, शीतला स्थान रोड, शास्त्री चौक, तेल गोदाम मकससपुर, पुरानीगंज, नयागांव, लाल दरवाजा, वासुदेवपुर सहित अन्य स्थानों पर कूड़े का अंबार लगा है. जहां कूड़ा का उठाव नहीं के बराबर होता है. स्थानीय लोगों द्वारा पार्षद को काफी अनुनय-विनय करने के बाद कूड़ा का उठाव होता है. ऐसी परिस्थिति में उन मार्गों से गुजरना भी लोगों को काफी मुश्किल हो रहा है.
कहती हैं मेयर
नयी सफाई व्यवस्था को पूरी मुश्तैदी से लागू किया जा रहा है. संबंधित एनजीओ को निर्देश दिया गया है कि वे कूड़ा उठाव, नालियों की सफाई एवं डोर टू डोर कचरा संग्रह की जिम्मेदारी को निभायें. एक सप्ताह के अंदर शहर की स्थिति सफाई के मामले में बेहतर दिखेगी.
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