मुंगेर : मुंगेर के न्यायिक इतिहास में पहली बार मंगलवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य में भाग नहीं लिया. जिसके कारण व्यवहार न्यायालय में आज न तो मुकदमों की पैरवी की गयी और न ही मामलों की सुनवाई हुई. न्यायालयों में सन्नाटा छाया रहा. यहां तक कि बहुचर्चित करैली नरसंहार का फैसला भी आज टल गया.
मुंगेर विधिज्ञ संघ के आमसभा के निर्णय के आलोक में अधिवक्ताओं ने न्यायालय में कामकाज नहीं किया. अधिवक्ताओं से खचाखच भरे रहने वाले न्यायालय पूरी तरह खाली रहे. विधिक संघ तदर्थ समिति के महासचिव अभिमन्यु मंडल ने कहा कि उनलोगों ने आज सांकेतिक रूप से न्यायालय में कामकाज नहीं किया. क्योंकि जिस प्रकार की व्यवस्था व्यवहार न्यायालय में उत्पन्न हुई है उससे अधिवक्ताओं के बीच नाराजगी है. परिवार न्यायालय द्वारा विधिज्ञ संघ को काउज लिस्ट तक उपलब्ध नहीं कराया जाता है.
इधर तदर्थ समिति के सदस्य रामचरित्र प्रसाद यादव ने कहा कि यहां व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. पेशकार स्तर पर भी बिना पैसा का कोई काम नहीं होता. इसे लेकर कई बार जिला एवं सत्र न्यायाधीश के संज्ञान में भी मामला को लाया गया. लेकिन जब व्यवस्था नहीं सुधरी तो बाध्य होकर अधिवक्ताओं ने आज सांकेतिक हड़ताल किया है. बावजूद अगर व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ तो फरवरी के अंतिम सप्ताह में पुन: इस मुद्दे को लेकर अधिवक्ता अपनी रणनीति बनायेंगे.
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