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परिवार देख कर जनरल वार्ड न समझें, यह सदर अस्पताल का आइसीयू है

मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए सामान्य मरीजों को भी आइसीयू में भर्ती किया जा रहा है. जबकि जरूरतमंद मरीज बाहर ही दम तोड़ देते हैं. मुंगेर : लंबे अर्से के बाद जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह की पहल पर पिछले साल सदर अस्पताल में आइसीयू सेवा आरंभ की गयी़ लोगों को यह उम्मीद जगी कि […]

मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए सामान्य मरीजों को भी आइसीयू में भर्ती किया जा रहा है. जबकि जरूरतमंद मरीज बाहर ही दम तोड़ देते हैं.

मुंगेर : लंबे अर्से के बाद जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह की पहल पर पिछले साल सदर अस्पताल में आइसीयू सेवा आरंभ की गयी़ लोगों को यह उम्मीद जगी कि अब हृदय रोगी व अन्य गंभीर मरीजों को आइसीयू में भरती होने के लिए पटना या भागलपुर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी़ मरीजों को यहीं पर अविलंब आइसीयू सेवा उपलब्ध हो जायेगी़ किंतु ऐसा नहीं हुआ़
सदर अस्पताल के आइसीयू में जरूरतमंद मरीज कम, गैर जरूरतमंद मरीजों को अधिक भर्ती किया जाता है़ इस कारण समय पर जरूरतमंद मरीजों को आइसीयू में बेड नहीं मिल पाता और इलाज के अभाव में वह दम तोड़ देता है.
जेनरल वार्ड से भी बदतर है आइसीयू की स्थिति: अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के कारण सदर अस्पताल के आइसीयू की स्थिति इन दिनों जेनरल वार्ड से भी बदतर हो चुकी है़ यहां मरीजों के साथ उनके दो-तीन परिजन हमेशा बेड पर जमे रहते हैं. घर के बच्चों को भी परिजन अपने साथ लेते आते हैं, जो आइसीयू के भीतर घंटों मरीजों के संपर्क में रहते हैं. इतना ही नहीं आइसीयू के भीतर मरीजों के परिजन बैठ कर अपना नाश्ता व भोजन भी करते हैं. जो इलाजरत मरीजों के लिए काफी संक्रामक हो सकता है़ जबकि जेनरल वार्ड में भी एक मरीज के साथ एक से अधिक परिजनों को रहने की इजाजत नहीं होती है़ ऐसे में यहां इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों को हमेशा संक्रमण का खतरा बना रहता है़
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक: अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि चिकित्सकों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं है़ कोई मरीज को जेनरल वार्ड में भर्ती करता है तो कोई उसी मरीज को आइसीयू में भर्ती कर देता है़ आइसीयू में मरीजों के परिजन को किसी भी हाल में नहीं रहना है़ इसके लिए वार्ड एटेंडेंट तथा सिक्यूरिटी गार्ड को हिदायत दी गयी है़ इसे कड़ाई से पालन करना है.
सामान्य मरीज भी आइसीयू में हो रहे भरती
आइसीयू में आज गैर जरूरतमंद रोगियों को अधिक भरती किया जा रहा है. गत वर्ष जिलाधिकारी ने आइसीयू में कम रोगियों की भरती पर नाराजगी व्यक्त की थी और जरूरतमंद रोगियों को इसमें सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. लेकिन जिलाधिकारी के निर्देश की गलत व्याख्या करते हुए आइसीयू में सामान्य मरीज को भी भरती किया जा रहा है. पैरवी व जान-पहचान वाले मरीजों के हर समय भरती रहने से इसका बेड ही खाली नहीं रहता. फलत: जरूरतमंद मरीजों को यहां बेड तक नहीं मिल पाता है और वे इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. सोमवार को आइसीयू में चिड़ैयाबाद निवासी हृदय रोगी नागेश्वर मंडल, मोबारकचक निवासी मो हलिम की पत्नी शैयदा, हजरतगंज निवासी हेड इंजर्ड मो उमर, बारीचक मुंगेर निवासी सांस की बीमारी से ग्रसित शांति पाठक, इस्पलीन की समस्या से ग्रसित सदर बाजार जमालपुर निवासी पूनम देवी तथा शंकरपुर निवासी हृदय रोगी मखरी देवी को भर्ती पाया गया़ इनमें से नागेश्वर मंडल तथा मखरी देवी को आइसीयू से डिस्चार्ज कर दिया गया था़ बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के कारण ये दोनों मरीज आइसीयू में ही बने हुए थे़ ऐसे में कोई गंभीर मरीज आइसीयू में भरती कैसे हो पायेंगे.
क्या है आइसीयू
आइसीयू का मतलब इनसेंटिव केयर यूनिट है, जिसे हिंदी में “गहन चिकित्सा केंद्र” कहा जाता है. यह किसी भी अस्पताल या स्वास्थ्य देखभाल सुविधा का एक विशेष विभाग होता है जो मरीजों को गहन उपचार प्रदान करता है. आइसीयू एक तरह का ऐसा कमरा है जहां अत्याधुनिक जीवन रक्षा उपकरण मौजूद होते हैं. जब अस्पताल में भर्ती किसी व्यक्ति की बहुत ज्यादा हालत बिगड़ जाती है और उसे बचाना काफी मुश्किल लगता है तो उस मरीज को आइसीयू में रेफर कर दिया जाता है. जब मरीज बहुत ही गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है तो उसे बचाने के लिए आइसीयू में मौजूद सभी उपकरणों की जरूरत पड़ती है. आइसीयू में अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग उपकरण मौजूद होते हैं. इससे भर्ती किये गये मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाता है.

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