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अक्षय नवमी कल, शुरू की आंवले के पेड़ के नीचे सफाई

मुंगेर : रविवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी पर अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जायेगा़ कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन स्नान कर आंवला वृक्ष की परिक्रमा व पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल प्राप्त होता है. हिंदू रीति रिवाज में इस दिन शादीशुदा महिलाएं व्रत […]

मुंगेर : रविवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी पर अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जायेगा़ कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन स्नान कर आंवला वृक्ष की परिक्रमा व पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल प्राप्त होता है. हिंदू रीति रिवाज में इस दिन शादीशुदा महिलाएं व्रत रखती हैं और कथा भी सुनती है. अक्षय नवमी को लेकर व्रतियों में खासा उत्साह का माहौल बना हुआ है़

सदियों से हो रही आंवले के पेड़ की पूजा
अक्षय नवमी के दिन गुप्त दान करना शुभ माना जाता है. कार्तिक माह आरंभ होते ही व्रति महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे भगवान-विष्णु की पूजा करती है. शुक्ल पक्ष नवमी के दिन पेड़ के नीचे व्रतियों द्वारा दीया जलाया जाता है, पेड़ में एक धागा बांध कर मनोकामनाएं मांगी जाती है तथा परिक्रमा कर रक्षा सूत्र भी बांधा जाता है. पंडितों का मानना है कि ये पूजा सदियों से चली आ रही है. इस दिन आंवला पेड़ के नीचे बैठकर खाना काफी लाभकारी माना जाता है़ यह तिथि बहुत ही शुभ होती है, इसलिए इस दिन कई शुभ काम शुरू किये जाते हैं.
इस विधि से करें आंवला वृक्ष का पूजन
अक्षय नवमी के दिन सुबह स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल आदि लेकर व्रत का संकल्प करें. नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का विशेष महत्व है. यदि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में भोजन बनाकर आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करने के बाद भोजन करना चाहिए. भोजन में सुविधानुसार खीर, पूड़ी या मिष्टान्न हो सकता है. आंवले के पेड़ के नीचे साफ सफाई करें, धो लें और फिर पूजा करके नीचे बैठ कर खाएं. अगर पेड़ न मिले तो इस दिन आंवला जरूर खाएं, बहुत शुभ होता है.
अक्षय नवमी का महत्व
मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है. शास्त्रों में इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम बताया गया है़ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें माता लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए इसकी पूजा करने का मतलब विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करना माना जाता है़ इस दिन व्रत करने से शादीशुदा औरतों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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