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सरकारी एंबुलेंस पर ढोते हैं दवा

कुव्यवस्था. मरीज व उनके परिजन होते हैं हलकान, नहीं मिलती सेवा मुंगेर की 14 लाख की आबादी पर सदर अस्पताल में सिर्फ चार एंबुलेंस उपलब्ध हैं. आम मरीजों की सेवा में एक भी एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता. लेकिन नियमों की अनदेखी कर एंबुलेंस में दवा की ढुलाई की जा रही है. मुंगेर […]

कुव्यवस्था. मरीज व उनके परिजन होते हैं हलकान, नहीं मिलती सेवा

मुंगेर की 14 लाख की आबादी पर सदर अस्पताल में सिर्फ चार एंबुलेंस उपलब्ध हैं. आम मरीजों की सेवा में एक भी एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता. लेकिन नियमों की अनदेखी कर एंबुलेंस में दवा की ढुलाई की जा रही है.
मुंगेर : एंबुलेंस सेवा की कमी के कारण होने वाली समस्या की खबरें जिले में आये दिन सुर्खियों में रहती है़ दूर दराज के गांव- देहात में तो लोग इस समस्या से प्राय: जूझते ही रहते है़ं सदर अस्पताल में भी लोगों को एंबुलेंस सेवा के लिए हमेशा परेशानी से दो चार होना पड़ता है. जरूरतमंद मरीजों को यहां पर एंबुलेंस मिलाना उसके भाग्य पर ही निर्भर करता है़ नतीजतन मरीजों का जान बचाने के लिए लोगों को निजी अक्सर निजी एंबुलेंस का ही सहारा लेना पड़ता है़ जबकि सदर अस्पताल की हकीकत यह है कि यहां का सरकारी एंबुलेंस दवा ढोने के काम में लाया जाता है़
सरकारी एंबुलेंस पर दवा की ढुलाई: बुधवार को जिला स्वास्थ्य समिति के केंद्रीय दवा भंडार में अस्पताल के सरकारी एंबुलेंस पर दवा लोड किया जा रहा था़ स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि यह दवा सदर अस्पताल जाना है़ इस संबंध में पूछे जाने पर स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि यह कोई नयी बात नहीं है़ सिर्फ सदर अस्पताल ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इसी एंबुलेंस से ही दवा की आपूर्ति की जाती है़
मुंगेर में रोगग्रस्त है एंबुलेंस सेवा
एक बड़ी समस्या ये भी है कि तत्काल आवश्यकता पड़ने पर एंबुलेंस जहां 10 मिनट की रिपोर्टिंग टाइम पर पहुंचनी चाहिए, वहां आधे से एक घंटे का समय लग जाता है. इससे कई बार मरीजों की स्थिति काफी बिगड़ जाती है या फिर किसी हाईयर अस्पताल पहुंचने के पहले ही उसकी मौत हो जाती है. एक आकड़े के मुताबिक देश में सड़क दुर्घटना के 51 प्रतिशत जख्मी लोग एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं. बावजूद इसके मुंगेर में एंबुलेंस सेवा को जानबूझ कर बीमार रखी जाती है़
दवा ढोने को नहीं है मालवाहक वाहन
मरीजों को समय पर नहीं मिलता एंबुलेंस
सरकारी नियम कहता है 80 हजार लोगों पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए. किंतु सदर अस्पताल पर निर्भर 14 लाख की आबादी के लिए यहां महज 4 एंबुलेंस की व्यवस्था है़ जिसमें 1099 के एंबुलेंस को तो सिर्फ वीआइपी के लिए ही उपयोग में लाया जाता है़ वहीं 102 नंबर की दो एंबुलेंस अक्सर आउट ऑफ स्टेशन ही रहती है़ सांसद कोटे से प्राप्त एंबुलेंस से तो मरीज को लाभ मिलता ही नहीं है, इसका इस्तेमाल सिर्फ दवाई व माल ढुलाई के लिए ही किया जाता है़
एंबुलेंस पर दवा ढुलाई है कानूनन अपराध
सरकारी नियमों के अनुसार एंबुलेंस का उपयोग सिर्फ मरीजों की सेवा के लिए होना है़ इस पर किसी प्रकार के माल की ढुलाई करना कानूनन अपराध है़ ऐसा करने पर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई किये जाने का भी प्रावधान है़ बावजूद सदर अस्पताल प्रबंधन अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा़ सरकारी नियमों को ठेंगा दिखाते हुए बेरोक-टोक एंबुलेंस पर दवा के अलावे अन्य सामानों की भी ढुलाई की जाती है़

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