मुंगेर : राष्ट्रीय लोक अदालत आम आदमी के लिए राहत भरा पैगाम लेकर आया है. लोगों की आस्था इस अदालत के प्रति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. छह महीने के अंदर तीन राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें 2024 मामलों का आपसी समझौता के आधार पर निष्पादन किया गया. बिजली बिल में गड़बड़ी हो या बैंक लोन, जिसमें बैंक के अधिकारी के दांव पेच से आम आदमी अक्सर परेशान हो जाता है. इस प्रकार के मामलों के निपटारा के लिए आम आदमी विभाग का चक्कर लगाता है,
लेकिन उसे राहत नहीं मिल पाती है. ऐसे पीड़ित आम आदमी की परिशानियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत रामवाण साबित हो रहा है. माननीय उच्चतम न्यायालय ने आम उपभोक्ताओं की परेशानी को देखते हुए वर्ष 2013 में राष्ट्रीय लोक अदालत का गठन किया था. ताकि आम आदमी को बैंक क्लेम, रेल, विवाह विवाद, श्रम कानून सहित कई अन्य मामलों का जल्द निष्पादन हो सके. धीरे-धीरे इस राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रति आम आदमी का विश्वास बढ़ता गया और मामलों के निष्पादन की संख्या बढ़ती चली गयी.
मामला निष्पादन के लिए बनाये गये भवन : पहले स्थानीय स्तर पर लोक अदालत का आयोजन किया जाता था. धीरे-धीरे उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती गयी. उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. मामलों के निष्पादन के लए व्यवहार न्यायालय परिसर में एडीआर भवन का भी निर्माण कराया गया. भवन में राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर अगल-अलग बेंच बनाये जाते हैं, जिसमें अधिवक्ता, विभाग के अधिकारी, आवेदक एक साथ बैठ कर आपसी समझौता के आधार पर मामलों का निष्पादन करते है. लोक अदालत के सफल संचालन के लिए सचिव बनाये गये.
तीन राष्ट्रीय लोक अदालत में 2024 मामलों का हुआ निष्पादन
आम आदमी को निजात भरा पैगाम लेकर आया राष्ट्रीय लोक अदालत दो से तीन महीना में एक बार आयोजित किया जाता है. इस वर्ष इसका आयोजन 11 फरवरी, 8 अप्रैल व 8 जुलाई को किया गया था. 11 फरवरी को 935 मामलों का निष्पादन हुआ. जबकि 5 करोड़ का सेटलमेंट हुआ. जबकि 8 अप्रैल को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 255 मामलों का निष्पादन हुआ तथा एक करोड़ का सेटलमेंट हुआ. 8 जुलाई को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत मे 834 मामलों का निष्पादन हुआ. जबकि 4 करोड़ 40 लाख से अधिक रुपये का सेटलमेंट हुआ.
कहते हैं अधिवक्ता
अधिवक्ता अशोक कुमार का कहना है राष्ट्रीय लोक अदालत न्यायालय की एक अनोखी पहल है. बैंक लोन, बिजली विवाद के निपटारा के लिए लोग अदालत आते हैं. पहले दलाल के चक्कर में पड़ जाते थे. लोक अदालत के कारण आज ऐसे लोगों को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिल गयी है. न्यायालय में भी केस का दबाव घटा है.
कहती हैं सचिव
न्यायिक पदाधिकारी सह स्थायी लोक अदालत के सचिव रचना श्रीवास्तव ने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य आम आदमी को विवादों से राहत दिलाना है. लोक अदालत इस पर खरा उतर रहा है. इसी का परिणाम है कि तीन राष्ट्रीय लोक अदालत में 2024 मामलों का निष्पादन हुआ़