मुंगेर : माता का स्थान देवताओं से भी ऊपर रखा गया है़ मां वह है, जो खुद भूखी रह कर पहले अपने बच्चों का पेट भरती है़ मां वह है, जो पूरी रात जग कर अपने बच्चे को थपकी देकर सुलाती है़ मां वह है, जो बच्चे को चोट पहुंचने पर स्वयं पीड़ित हो उठती है़ लेकिन, जब वही माता कुमाता बन जाये, तो फिर मां की ममता कलंकित हो जाती है. ऐसी ही एक घटना शनिवार को मुंगेर रेलवे स्टेशन पर हुई, जहां एक कलयुगी माता अपने नौ माह की मासूम बेटी को स्टेशन पर रोते-बिलखते छोड़ कर भाग गयी़
बेटी बचाओ अभियान पर सवाल
एक ओर जहां सरकार बेटी बचाओ अभियान के तहत विभिन्न प्रकार की योजना चला रखी है़ वहीं दूसरी ओर आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसी माताएं हैं, जो अपनी बेटी को बोझ समझ कर उससे नाता तोड़ने में लगी हुई है़ बेटी नहीं होगी, तो बेटा भी नहीं होगा. इस बात को अब भी कुछ लोग मानने से इनकार कर रहे हैं. शायद सरकार की ओर से चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों में कोई कसर रह गयी है. इसके कारण बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आ रही है़ ऐसे में बेटी बचाओ अभियान पर सवाल उठना लाजमी है़
बच्ची को सुला खगड़िया जानेवाली ट्रेन पर चढ़ी मां
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मुंगेर रेलवे स्टेशन पर शनिवार को एक महिला अपनी बेटी को गोद में लिए प्लेटफॉर्म संख्या-एक पर बैठी हुई थी़ लेकिन, जब खगड़िया जाने वाली ट्रेन आयी, तो महिला प्लेटफॉर्म पर बने यात्री सीट के नीचे बच्ची को सुला कर ट्रेन पर चढ़ गयी़ ट्रेन चली जाने के बाद प्लेटफॉर्म पर बच्ची के जोर-जोर से रोने की आवाज गूंजने लगी़ स्टेशन पर मौजूद जीआरपी के जवान ने काफी खोजबीन के बाद देखा कि एक बच्ची प्लेटफॉर्म पर बने सीट के नीचे रो रही है़
वहां पर काफी पूछताछ करने के बाद किसी ने भी उसे पहचानने से इनकार कर दिया़ इसके बाद जीआरपी ने बाल कल्याण समिति को फोन पर एक लावारिस बच्ची के मिलने की सूचना दी. कुछ ही देर में बाल कल्याण समिति के सदस्य संध्या वर्मा, मृदुला कश्यप व विजय कुमार चौरसिया रेलवे स्टेशन पहुंच गये तथा बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया़ बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने उस बच्ची को मिशनरी चैरिटी में केयर टेकिंग के लिए दे दिया है़