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रितेश कुमार झा को मिला श्यामानन्द झा स्मृति पाठक सम्मान

विकसित राष्ट्र निर्माण के लिए नागरिकों में ज्ञान का होना अति आवश्यक है. विकसित भारत के इसी सपने को पूरा करने के लिए यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय विगत 73 वर्षों से ज्ञान का अलख जगाने का प्रयासरत है.

झंझारपुर. विकसित राष्ट्र निर्माण के लिए नागरिकों में ज्ञान का होना अति आवश्यक है. विकसित भारत के इसी सपने को पूरा करने के लिए यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय विगत 73 वर्षों से ज्ञान का अलख जगाने का प्रयासरत है. इसी कड़ी में वर्ष 2014 से पुस्तकालय द्वारा प्रत्येक वर्ष सर्वाधिक पुस्तक पढ़ने वाले पाठक को श्यामानंद झा स्मृति पाठक सम्मान से सम्मानित किया जाता है. यह सम्मान लालगंज ग्राम निवासी शब्द प्रदीपकार हेमपति झा, प्रसिद्ध विकल झा के सुपुत्र कर्णिका, मधुवीथी, वेदना, सुधावाल्ली आदि काव्यग्रंथ के कृति रचनाकार, विभिन्न मांगलिक अवसर और गीतहारि महिलाओं के कंठ से स्वतःस्फूर्त व्यावहारिक गीतों के ‘बालकवि’, जेवीएम् संस्कृत कॉलेज, मुम्बईक पूर्व प्रधानाचार्य, व्याख्यान वाचस्पति, वैयाकरण पंडित श्यामानंद झा के जन्मदिन के पावन अवसर पर दिया जाता है. इस सम्मान के अन्तर्गत अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र और 21 सौ रुपये दिए जाते हैं. वर्ष 2023 में सर्वाधिक पुस्तक पढ़ने के लिए इस वर्ष यह सम्मान राजे गंगौली ग्राम निवासी रितेश कुमार झा को दिया गया. रितेश कुमार झा सीएम आर्टस महाविद्यालय से स्नातक वाणिज्य संकाय के छात्र हैं. इस वर्ष रितेश कुमार झा ने 12 महीनों में कुल 46 किताब का अध्ययन किया. रितेश ने बताया कि पुस्तकालय का यह प्रयास सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरणा दायक है. यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रो. अशर्फ़ी कामति ने बताया कि पुस्तकालय हमारे ग्रामीण परिवेश में एक माहौल प्रदान करता है. विद्वतजनों का मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है. इस पुरस्कार से पुस्तक पढ़ने वालों की संख्या बढ़ी है. कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रुति, आरती और नीतू द्वारा मंगलगान से किया गया. तत्पश्चात पंडित श्यामानंद झा के चित्र पर विद्वतजनों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया. पाठक सम्मान समारोह कार्यक्रम प्रख्यात साहित्यकार, साहित्यिकी सरिसब-पाही के संस्थापक सदस्य एवं संयोजक डॉ जगदीश मिश्र की अध्यक्षता में हुई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. ईन्द्र नाथ ठाकुर और विशिष्ट अतिथि प्रो. केदार नाथ झा थे. वक्ताओं ने श्रोताओं एवं विद्वतजनों को पंडित श्यामानंद झा के रचनाओं से अवगत कराया. डॉ जगदीश मिश्र ने बताया कि पंडित श्यामानंद झा की अप्रतिम प्रतिभा, ईर्ष्य सूक्ष्मेक्षिका, शास्त्रीय गाम्भीर्य, स्पृहणीय मौलिकता और शालीनताक अनुकरणीय हैं. मैथिली एवं संस्कृत साहित्य में उनका योगदान विस्मरणीय है. कार्यक्रम का संचालन मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिवशंकर श्रीनिवास ने किया. धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय सचिव उदय नाथ मिश्र द्वारा किया गया. अवसर दिगम्बर कामति, पृथ्वी कामति, मिथिलेश मिश्रा, प्रबोध झा, अजित मिश्र, शैलेंद्र आनंद, रतिनाथ झा, उमानाथ मिश्र, जयंत मिश्र, भैरवेश्वर झा आदि विद्वतगण उपस्थित थे.

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