23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैसे पढ़ें कोर्स की किताबें

उपेक्षा. पुस्तकालय में किताबों का आवंटन नहीं, कमरों का टोटा मधुबनी : जिले के 232 प्लस टू हाइस्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा संतोषजनक नहीं है. कहीं भी पुस्तकालय की बुनियादी सुविधाएं नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिससे इन विद्यालयों का पुस्तकालय सांसद,विधायक के रहमो करम पर चल रहा है. […]

उपेक्षा. पुस्तकालय में किताबों का आवंटन नहीं, कमरों का टोटा

मधुबनी : जिले के 232 प्लस टू हाइस्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा संतोषजनक नहीं है. कहीं भी पुस्तकालय की बुनियादी सुविधाएं नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिससे इन विद्यालयों का पुस्तकालय सांसद,विधायक के रहमो करम पर चल रहा है. किसी भी स्कूल में अलग से पुस्तकालय भवन, उपस्कर,
आलमारी आदि की व्यवस्था विभाग द्वारा नहीं की गई है. पुस्तकालय के नाम पर अधिकतर विद्यालयों में कमरे की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण एक कक्ष निर्धारित कर दी गई है. या कार्यालय के किसी कोने में दो चार आलमारी रख दिया गया है. लेकिन, विधिवत पुस्तकालय का संचालन अपवाद के रूप में ही कुछ विद्यालयों में हो सकता है. सांसद विधायक द्वारा वर्षों पूर्व ऐच्छिक कोष से दिये गये पुस्तक के बोरे भी अधिकतर स्कूलों में नहीं खोले गये है.
नहीं है ठोस आवंटन. माध्यमिक या उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालय के लिए नियमित वार्षिक आवंटन का निर्धारण नहीं किया जा सका है. बल्कि, प्रधानाध्यापकों के मांग पर कभी कभार सांसद या विधायक द्वारा अपने ऐच्छिक कोष से पुस्तकें भेज दी जाती है. जो, छात्रों के वर्ग का नहीं होता. बल्कि, साहित्य एवं ऐतिहासिक होता है. 12 वीं वित्त योजना से जिले के उच्च विद्यालयों को 25 हजार रुपये राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत पुस्तक क्रय के लिए दिया गया था. जिससे प्रधानाध्यापकों के द्वारा नौवीं से बारहवीं तक के कोर्स की किताब खरीदी गयी थी.
बच्चों को िमलती है सुविधा
वाट्सन प्लस टू उच्च विद्यालय में पुस्तकालय कक्ष है. शनिवार को यह खुला भी था. लेकिन, प्रभारी पुस्तकालयाध्यक्ष सह शिक्षक, प्रधानाध्यापक के साथ कहीं विभागीय मीटिंग में गये थे. यहां लगभग पांच हजार पुस्तकें हैं जैसा दूसरे कर्मियों ने बताया. यहां बच्चों की सुविधा के लिए आरएमएसए से वर्ष 2014 में दी गयी 25 हजार रुपये से कोर्स की किताब खरीदी गयी है. कक्ष में लगे टेबल, कुर्सी से प्रतीत हो रहा है कि छात्र-छात्राएं पुस्तकालय का लाभ लेते हैं.
232 प्लस टू हाइस्कूलों का हाल, बुनियादी सुविधाएं नहीं
पुस्तकालयाध्यक्ष को है पढ़ाने की िजम्मेदारी
जिले के 232 में से सिर्फ 80 माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में ही पुस्तकालयाध्यक्ष पदस्थापित है. लेकिन, अलग से इसके लिए भवन, उपस्कर, छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर आदि नहीं रहने के कारण पुस्तकालयाध्यक्ष भी उन स्कूलों में शिक्षक बन कर रह गये हैं.
बोरे में बंद थीं सांसद-िवधायक की दी किताबें
मैं अपराह्न 2:20 बजे समाहरणालय के ठीक सामने स्थित शिव गंगा बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय पहुंचा. शिक्षक और शिक्षिका मैदान में बैठी थी. कार्यालय में प्रधानाध्यापिका सह जिला माध्यमिक शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुनैना कुमारी बैठी थी. पुस्तकालय के लिए यहां अलग से भवन या कक्ष भी नहीं है और न पुस्तकालयाध्यक्ष है. एक बंद कमरे में कुछ पुस्तकें शीशे के आलमारी से झांक रहे है और नीचे फर्श पर काॅपियों के बंडल पड़े थे. चारों तरफ यह पुस्तकालय कक्ष मकड़े के जाले से घिरा हुआ था. जो यह बताने के लिये काफी था कि यह कमरा महीनों से नहीं खोला गया है. प्रधानाध्यापिका सुनैना कुमारी ने बताया कि पद सृजित है. लेकिन पुस्तकालयाध्यक्ष का पद रिक्त है. लिपिक को ही पुस्तकालयाध्यक्ष का प्रभार दिया गया है. उन्होंने बताया कि एक हजार किताब है. जबकि सांसद, विधायक द्वारा दिये गये पुस्तक बोरे में ही बंद है.
आंकड़ाें पर एक नजर
प्लस टू हाई स्कूलों की संख्या 232
राजकीय 108
परियोजना बालिका 13
उत्क्रमित 111
पुस्तकालयाध्यक्ष 80
अलग से फंड की नहीं है व्यवस्था
विभाग से पुस्तकालय के लिए हाल के वर्षों में कोई अलग से आवंटन नहीं प्राप्त हुआ है. वहीं, डीपीओ स्थापना सह डीइओ मो. अहसन ने बताया कि विभागीय स्तर पर जिले में 80 पुस्तकालयाध्यक्ष तो कार्यरत हैं. लेकिन, पुस्तकालय को मजबूत करने के लिए अलग से फंड की व्यवस्था नही है.
संजय कुमार, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के डीपीओ

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें