मधेपुर : महिलाओं के हमदर्दी के नाम पर केन्द्र सरकार व लाॅ कमीशन के द्वारा यूनिफार्म सिविल कोड आजाद मुल्क में मजहब को गुलाम बनाने की नापाक साजिश है. सरकार बदली जा सकती है लेकिन मुसलिम पर्सनल लॉ में तब्दिली नहीं हो सकती है. यह बातें फुलवारीशरीफ पटना इमारत सरिया के मुफ्ती वसी अहमद ने मधेपुर प्रखंड के बल्थी गांव स्थित मदरसा मिफताहुल उलूम परिसर में इमारत शरिया की ओर से आयोजित एक कांफेंन्स में कही.
श्री अहमद ने सिविल कोड के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान के मुहिम को तेज करने की अपील लोगों से की. उन्होंने कहा कि अगर इस मुसलिम पर्सनल लॉ में दखल अंदाजी से सरकार बाज नहीं आती है तो इसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा. तलाक का कानून अल्लाह का बनाया हुआ है. तलाक दवा की तरह है जिस प्रकार दवा बीमारी को कम करने के लिए डाक्टर की सलाह पर ली जाती है. उसी प्रकार तलाक का प्रयोग कुरआन करीम की हिदायत के अनुसार होता है.
अगर इसके तहत तलाक का प्रयोग नहीं होता है तो इसे जुर्म समझा जाता है. ऐसे लोग सजा के मुस्तहक हैं. उन्होंने कहा कि इस्लाम में एक से ज्यादा शादी की सिर्फ इजाजत दी गयी है फर्ज और वाजिब नही कराया गया है. एक से ज्यादा शादी की इजाजत बीवियों के साथ इंसाफ की शर्त के साथ है. इस कांफ्रेंन्स में कई अन्य वक्ताओं ने तीन तलाक विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. अध्यक्षता मो. अताउल्लाह ने की .कन्फ्रेंस में मो. इमामुद्यीन साहब, मोफती जकरिया साहब, मोफ्ती जमालउद्दीन साहब शकील अहमद, वली मोहम्मद आदि ने भी अपना विचार रखे.