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न डॉक्टर, न दवा, दुआ पर निर्भर हैं भरती मरीज

परेशानी. 10 माह चलने के बाद बंद हो गया आइसीयू जब लोग बीमार पड़ते हैं, तो दौड़कर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र आते हैं. पर यह जिले के मरीजों का दुर्भाग्य है कि सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए करीब पचास लाख की लागत से बनाया गया आइसीयू वार्ड आज खुद दम तोड़ चुका […]

परेशानी. 10 माह चलने के बाद बंद हो गया आइसीयू

जब लोग बीमार पड़ते हैं, तो दौड़कर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र आते हैं. पर यह जिले के मरीजों का दुर्भाग्य है कि सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए करीब पचास लाख की लागत से बनाया गया आइसीयू वार्ड आज खुद दम तोड़ चुका है. उद्घाटन के महज दस माह के बाद ही आइसीयू बंद हो गया . मशीन भी खराब हो चुकी है. आइसीयू में इन दिनों इसीजी का काम हो रहा है.
मधुबनी : सदर अस्पताल स्थित आइसीयू उद्घाटन के चंद महीने बाद ही बंद हो गया. आइसीयू में उपलब्ध लाखों रुपये का
उपकरण अब बेकार पड़ा हुआ है. मरीजों की बेहतर सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से सदर अस्पताल में आइसीयू का शुभारंभ अगस्त 2012 में किया गया. सदर अस्पताल के चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर आइसीयू में तैनाती की गयी. जहां गहन चिकित्सा के मरीजों को उपचार के लिए रखा जाता था . जब यह विभाग खुला तो लोगों को काफी खुशी हुई कि अब तो गंभीर बीमारी के लिए दरभंगा या पटना नहीं जाना पड़ेगा. पर इसके उद्घाटन के मात्र दस माह बाद ही आइसीयू अंतिम सांस लेने लगा और 31 जून 13 में आइसीयू पूर्णत: बंद हो गया. तब से आज तक आइसीयू में इसीजी का कार्य हो रहा है.
लाखों की मशीनें हो गयीं बेकार
एक साथ पांच मरीजों के इलाज की थी व्यवस्था
आइसीयू में पांच केबिन बनाया गया था. जहां एक बार में पांच मरीजों को रखने की व्यवस्था थी. पांच चेंबर टेबुल पर 5 कार्डियेट मॉनीटर लगाया गया था. बताया जा रहा है कि मॉनीटर की कीमत चार लाख रुपये थी. आइसीयू तीन सेक्सन मशीन लगाया गया था. जिसकी कीमत दो लाख रुपये थी. इसके साथ ही गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों के लिए 30 लाख रुपये की लागत से वेंटीलेटर भी आइसीयू में उपलब्ध था. वर्तमान में सभी उपकरण रख रखाव के अभाव में खराब हो चुका है.इससे मरीजों का इलाज संभव नहीं है.
आइसीयू वार्ड को है इलाज की जरूरत
उद्घाटन के 10 माह बाद ही बंद हो गया आइसीयू
आइसीयू में चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं
आईसीयू वार्ड के स्थापना के बाद अस्पताल के चिकित्सकों को आइसीयू में इलाज करने का प्रशिक्षण दिया गया. पर बाद में कई डॉक्टर का तबादला हो जाने एवं इसके लिये विशेषज्ञ चिकित्सकों को नहीं भेजे जाने के कारण यह धीरे धीरे बंद हो गया.
मैनपावर की है कमी
मैनपावर, टेक्नीशियन व विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में आइसीयू बंद हो गया. उन्होंने बताया कि चूंकि सरकार द्वारा आइसीयू के लिए कोई चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी थी. लिहाजा सदर अस्पताल के चिकित्सकों से ही कार्य लिया जाता था. ऐसे में सदर अस्पताल में चिकित्सकों के कमी के कारण अस्पताल में आने वाले मरीजों के उपचार में कठिनाई हो रही थी.
डाॅ अजय नारायण प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

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