झंझारपुर : मध्याह्न् भोजन में गुणवत्ता की कमी एक बार फिर सामने आयी है. विद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण लगभग 90 मिडिल स्कूल के छात्र छात्रओं के जीवन पर खतरा आ गया. मध्याह्न् भोजन योजना में इतनी बड़ी लापरवाही ने तमाम संबद्ध अधिकारियों के कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है. मध्याह्न् भोजन योजना की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आ गयी है.
स्कूल में हालत इतनी बदतर हो गयी कि बच्चों को भगवान भरोसे छोड़कर शिक्षक व प्रधानाध्यापक स्कूल परिसर से फरार हो गये. जबकि विपदा की इस घड़ी में प्रभारी प्रधानाध्यापक को छात्रों को इलाज के लिये अस्पताल ले जाना चाहिए. वहीं, मध्याह्न् भोजन के साधनसेवी ने ऐसी घटना को रोकने के लिये क्या क्या प्रयास किये थे यह भी सवालों के घेरे में आ गयी है. गलती किसकी थी यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा पर इतना तो तय है कि इस घटना ने जिला प्रशासन की आंखें खोल कर रख दी है.
डीएम इस संबंध में क्या कार्रवाई करते हैं यह तो आनेवाला समय ही बतायेगा, लेकिन इस घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए डीएम गिरिवर दयाल सिंह को सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं. इस घटना के बाद शिक्षकों व ग्रामीणों के बीच हाथापाई काफी चिंताजनक है. ग्रामीणों ने डीएम गिरिवर दयाल सिंह से मांग की है कि इस घटना की जांच वे किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से कराकर दोषी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करें कि फिर दोबारा जिले में ऐसी घटना न घटे. समाजसेवियों ने डीएम से मध्याह्न् भोजन के प्रखंड साधनसेवी,रसोइया आदि से पूछताछ करने का भी अनुरोध किया है.
वहीं जिले के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सर्वसीमा मिडिल स्कूल में हुए इस दुखद घटना को रोकने के लिये सभी को एकजुट होने को कहा है. साथ ही इस घटना पर राजनीति नहीं करने का भी आह्वान किया है. उन्होंने बाल संरक्षण इकाई के उच्चधिकारियों व बचनप बचाओ आंदोलन के अधिकारियों को भी झंझारपुर के सर्वसीमा गांव में टीम भेजने को कहा है. उन्होंने जिले के स्कूली छात्र छात्रओं के लिये 29 जून को काला दिन बताया व इसके लिये दोषी के खिलाफ अविलंब प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.