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आश्रम संचालक को मिली तीन दिनों की मोहलत

शाम तक पुलिस के सामने अड़ी रही भीड़, आश्रम संचालक की रिहाई के बाद शांत हुए लोग मधेपुर : स्थानीय लक्ष्मीपुर चौक शनिवार को दिन भर रणक्षेत्र में तब्दील रहा. दिन करीब 11 बजे प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की शुरू हुआ विरोध शाम छह बजे तक कायम रहा. जब पुलिस व प्रशासन ने लोगों […]

शाम तक पुलिस के सामने अड़ी रही भीड़, आश्रम संचालक की रिहाई के बाद शांत हुए लोग
मधेपुर : स्थानीय लक्ष्मीपुर चौक शनिवार को दिन भर रणक्षेत्र में तब्दील रहा. दिन करीब 11 बजे प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की शुरू हुआ विरोध शाम छह बजे तक कायम रहा.
जब पुलिस व प्रशासन ने लोगों की मांग के अनुरूप विजय झा समेत तीन लोगों की रिहाई की तब जाकर मामला शांत हो सका. पर इस आठ घंटे में पुलिस व प्रशासन को नाकों चने चबाने पड़े. शाम करीब छह बजे झंझारपुर एसडीओ रवीश किशोर व डीएसपी आलोक रंजन के वार्ता के प्रयास को सफलता मिली और स्थानीय राजनीतिक प्रतिनिधि व जनप्रतिनिधि के साथ थाना परिसर में वार्ता की गयी.
इस दौरान लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई की निंदा की. तब अधिकारियों ने भी कोर्ट का हवाला देकर मामले को शांत कराने की लोगों से अपील की. वार्ता के क्रम में इस बात पर जोर दिया गया कि बाजार में अतिक्रमण को पूर्णत: खाली कराया जायेगा. साथ ही विजय आश्रम को तत्काल कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा. संचालक के मांग के अनुसार प्रशासन ने इन्हें अगले तीन दिनों की मोहलत दी है.
ताकि ये हाई कोर्ट के एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ डबल बेंच में अपील दायर कर सकें. यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर तीन दिनों में कोर्ट में अपील दायर नहीं किया जा सकेगा तो स्थानीय प्रशासन अपनी कार्रवाई को आगे बढायेगी. इस दौरान किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन को बर्दाश्त नही किया जायेगा.
शाम छह बजे हुई रिहाई
एसडीओ रविश किशोर ने हजारों की जमा भीड़ को देखते हुए शाम 5:30 बजे स्थानीय राजनीतिज्ञ दलों के कार्यकर्ताओं साथ बातचीत की. समझौता के लिए मुखिया महेश महतो, राजद प्रखंड अध्यक्ष मुमताज अंसारी, संतोष झा आदि आगे आये. समझौता के तहत विजय कुमार झा सहित अन्य तीन को हिरासत में लिये विजय सहित तीन लोगों को छोड़ने पर सहमति बनी. एसडीओ के निर्देश पर जमानतदार के द्वारा जमानत लिये जाने के बाद हिरासत में लिये गये तीनों को रिहा कर दिया गया. इसके अलावे विजय झा के दूसरे शर्त पर भी प्रशासन ने तत्काल अपनी सहमति दी. इन्हें अगले तीन दिनों का मोहलत दिया गया है. ताकि हाई कोर्ट के एकल पीठ के निर्णय के विरूद्ध डबल बेंच में अपील कर सकें.
इसके बाद प्रशासन चैन की सांस ली. गौरतलब हो कि रिहाई को लेकर थाना पर पहुंचे एसडीओ रविश किशोर सहित अन्य पदाधिकारीयों को यहां भीड़ ने पीछा नहीं छोड़ा. विजय झा को रिहा में देरी होते देख लोगों की भीड़ ने नारेबाजी करना शुरू कर दी. एक समय लग रहा था कि उग्र भीड़ थाना परिसर में घुस कर तोड़फोड़ करेंगे. तब खुद विजय झा ने बाहर आकर लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की. तब जाकर भीड़ शांत हुई.
वार्ता तक डटे रहे लोग
आश्रम तोड़ने को लेकर उठी विवाद के कारण शनिवार की शाम छह बजे तक हजारों लोगों की भीड़ लक्ष्मीपुर चौक पर जमी रही. इस दौरान लोग रह रह कर पुलिस व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. लोगों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस बल चौक तक आने की शाम तक हिम्मत नहीं जुटा सकी थी. बाद में अधिकारियों के प्रस्ताव पर शांति वार्ता की पहल शुरू हुई और कुछ देर में ही थाना परिसर में वार्ता आयोजित की गयी. करीब पौन घंटे तक पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय लोगों की वार्ता हुई. इस दौरान हजारों की भीड़ थाना परिसर के बाहर जमी रही. जब वार्ता सफलतापूर्वक खत्म हुआ और विजय समेत तीन की रिहाई हुई तब लोग वहां से हटे.
वाहनों का परिचालन रहा ठप
मधेपुर/झंझारपुर. आश्रम को तोड़ने को लेकर पुलिस-पब्लिक में हुई भिड़ंत के बाद भेजा-झंझारपुर मार्ग पर वाहनों का परिचालन घंटों तक बंद रहा. भीड़ ने झंझारपुर जाने वाली मुख्य सड़क पर लोहे का खंभा डाल दिया. इससे छोटे वाहनों के परिचालन में भी मुश्किल आयी. ऐसे में दूर दराज के सैकड़ों यात्री मधेपुर में फंसे रहे. बाद में मधेपुर से करीब तीन किमी दूर जाकर वाहनों ने अपना ठहराव बनाया. तब लोग इस दूरी को तय कर वाहन तब पहुंचते थे. इससे खास कर महिलाओं और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दिन भर भीड़ व पुलिस फोर्स के बीच लुकाछुपी चलती रही. कभी पुलिस द्वारा भीड़ को खदेरा जा रहा था. तो कभी भीड़ द्वारा पुलिस प्रशासन को खदेड़कर एक किलोमीटर पिछे हटने को मजबूर कर रही थी.
सांसद एच्छिक कोष से बना था आश्रम
झंझारपुर/ मधेपुर. लक्ष्मीपुर चौक स्थित विजय आश्रम का निर्माण का निर्णय सामाजिक सहयोग एवं तत्कालीन सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव के ऐच्छिक कोष से वर्ष 2001-02 में हुआ था. इस धर्मशाला का निर्माण तत्कालीन जिलाधिकारी डा. बी राजेंद्र की देखरेख में हुआ था. कुछ दिनों बाद विजय आश्रम धर्मशाला के रूप में निबंधित भी करवाया गया. इसका उपयोग सार्वजनिक तौर पर किया जाता है. खाशकर कोशी क्ष़ेत्र सहित दूर दराज के लोग जब रात्री से बस से उतरते हैं, तो इनका एक मात्र ठिकाना यही धर्मशाला ठहरने के लिए होता है. इस आश्रम का संचालन व देखरेख समाजसेवी विजय झा करते हैं.
लावारिस लाश के मसीहा के रूप में चर्चित हैं विजय
मधेपुर. लक्ष्मीपुर चौक स्थित विजय आश्रम धर्मशाला के संचालक विजय झा थाना के भखराइन गांव के निवासी हैं. ये छात्र जीवन से ही समाजसेवा की राह पकड़ ली. इस कारण अपनी अविवाहित जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया. इन्होंने लावारिश पड़े लाशों को देखकर पहले विचलित होते थे.
बाद के दिनों में ये ऐसे लावारिश लाशों को उनके धर्म के अनुसार दफन व संस्कार करने लगा. पहले तो लोग इनके इस जुनून को पागलपन कहा. पर बाद में यही इनकी पहचान बन गयी और इलाके में ये लावारिश लाशों के मसीहा कहे जाने लगे. इसी दौरान साल 2001 में विजय आश्रम सह धर्मशाला की स्थापना की गयी. इलाके के लोगों के सहयोग व जनप्रतिनिधियों की मदद से इसका विकास किया गया.

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