लदनियां : सृजनात्मक शक्ति का प्रदर्शन व उपयोग ही नारी सशक्तिकरण है. इसे समझने और समझाने की जरुरत है. इसके लिए स्त्रियों को भी खुलकर सामने आना होगा. उक्त बातें संस्कृत कॉलेज, खाजेडीह में यूजीसी की 12 वीं वित्तीय योजना के तहत आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर मानवाधिकार, वयस्क शिक्षा व नारी सशक्तिकरण विषय पर बोलते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुल सचिव डॉ. मनोरंजन कुमार दुबे ने अपने उद्घाटन भाषण के क्रम में छात्र, स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहीं.
वहीं युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार की एनएसएस के तहत आयोजित विशेष शिविर में स्वास्थ्य व स्वच्छता विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि एनएसएस छात्रों को सामाजिक बनाती है. उन्होंने विद्यालय के कर्मियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने बल बूते समाज में जागरुकता अभियान चला रहे. इस महाविद्यालय को अगले सत्र से एनएसएस के लिए सरकारी राशि दी जायेगी. उनके साथ आये कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार झा ने कहा कि एनएसएस समाज में जागरूकता लाती है.
समाज में वर्षों से व्याप्त गैर बराबरी, अशिक्षा एवं भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों से एनएसएस बचाती है. प्रधानाचार्य डॉ. दुनियांलाल महतो की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में पहुंचे पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का स्वागत पाग दोपट्टा से किया गया. मौके पर भू- संपदा पदाधिकारी डा. अवधेश कुमार चौधरी, बैद्यनाथ झा, दीपक कुमार, फुलकुमारी देवी, प्रो. नरेश मिश्र, डॉ. श्यामानंद मिश्र, प्रो. मणिकांत झा ,प्रो. जयकांत झा , रामसागर साह, रीतलाल सिंह समेत अनेकों लोग उपस्थित थे.