मधुबनी : शहर में करीब एक साल पूर्व पॉलीथिन पर लगाया प्रतिबंध बेअसर रहा है. जिस प्रकार से शहर में पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है, लोग इसमें सामान लेकर जा रहे हैं, लगता ही नहीं है कि इस पर प्रतिबंध भी लगा था या लगा है. जिस प्रकार प्रतिबंध से पहले पॉलीथिन प्रचलन में था, आज भी उसी प्रकार से प्रचलन में है.
न तो आम लोग इसको छोड़ने के लिये जागरूक हैं, न व्यापारी ही इसका कारोबार बंद कर रहे हैं. सामाजिक संगठन व समाजसेवियों का भी जागरूकता अभियान बंद हो चुका है. आलम यह है कि प्रतिमाह करीब 180 क्विंटल पॉलीथिन का उपयोग शहर के लोग कर रहे हैं. यानी कि औसतन हर दिन छह क्विंटल पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है.
पॉलीथिन से पट गया मैदान : इसके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल से शहर में नालियां जाम हो रही है. तो दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. शहर के प्राय: खाली जगहों पर पॉलीथिन जमा है. जिससे यह कूड़ेदान में तब्दील हो गया है. 24 दिसंबर 2018 को पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगायी गयी थी.
प्रतिबंध के बाद इसके इस्तेमाल पर जुर्माने का प्रावधान किया गया था. पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए जागरूकता अभियान के साथ साथ छापेमारी की गयी थी. प्रशासन को प्रतिबंध के बाद पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वाले दुकानदार व खरीददार पर कारवाई करनी थी. जिला व नप प्रशासन छापेमारी कर जुर्माने वसूल भी की. पर इनके उदासीन रवैया से शहर में पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से जारी है.
जुर्माने का है प्रावधान : राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए प्रावधान के मुताबिक घरेलू उपयोग पर पहली बार पकड़े जाने पर 100, दूसरी बार 200 तथा इसके बाद 500 रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा. वहीं व्यावसायिक उपयोग पर पहली बार 1500, दूसरी बार 2500 तथा बार- बार पकड़े जाने पर 3500 रुपया जुर्माना भरना होगा. इसके अलावे प्लास्टिक को सार्वजनिक स्थल पर फेंकने पर पहली बार में एक हजार, दूसरी बार में 1500 व बार- बार फेंके जाने पर 2 हजार रुपये देने होंगे. वहीं पॉलीथिन को खुले में जलाने पर पहली बार दो हजार, दूसरी बार में तीन हजार तथा बार बार पकड़े जाने पर 3500 रुपया जुर्माना भरना होगा.
धड़ल्ले से हो रहा उपयोग : शहर में पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से जारी है. प्रत्येक चौक चौराहे पर फुटपाथ विक्रेता, सब्जी विक्रेता, मीट मछली व किराना व्यवसायी इसका धड़ल्ले से उपयोग करते देखे जा रहे है. इन्हें न तो प्रतिबंध के बारे में जानकारी है और न ही इसके उपयोग से होने वाले नुकसान की. ये बेखौफ इसका इस्तेमाल कर रहे है. वहीं आम लोगों में भी जागरूकता का अभाव है.
प्रतिबंध बेअसर होने के कारण
शहर में पॉलीथिन पर प्रतिबंध बेअसर होने के प्रमुख कारणों में नप प्रशासन व आम लोगों की उदासीनता बताया जा रहा है. पिछले छह महीने से नप की छापेमारी अभियान ठप्प है. वहीं आम लोग पॉलीथिनके उपयोग से होने वाले नुकसान से अंजान बने हुए है. जबकि पॉलीथिन के थोक विक्रेताओं पर अब तक छापेमारी नहीं की गयी है.
चायनीज पॉलीथिन की बढ़ी मांग
इन दिनों चायनिज पॉलीथिन की मांग अधिक बढ़ गयी है. उजले व हल्के पीले रंग के पॉलीथिन बाजार में उपलब्ध हैं. यह सामान्य पॉलीथिन की तुलना में अधिक मजबूत माना जा रहा है. आधा किलो से लेकर दस किलो तक के वजन ढ़ोने वाला पॉलीथिन बाजार में उपलब्ध है. जिस पर रोक लगाने में प्रशासन पूरी तरह से विफल है.