मधुबनी :सरकार भले ही अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराने का दम भर रहा है. पर अस्पताल प्रबंधन के लापरवाही का आलम यह है कि सोमवार को सर्जिकल ओपीडी में चिकित्सक नहीं रहने के कारण मरीजों को मेल ओपीडी में ही इलाज किया गया. जिसके कारण मेल ओपीडी में मौजूद […]
मधुबनी :सरकार भले ही अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराने का दम भर रहा है. पर अस्पताल प्रबंधन के लापरवाही का आलम यह है कि सोमवार को सर्जिकल ओपीडी में चिकित्सक नहीं रहने के कारण मरीजों को मेल ओपीडी में ही इलाज किया गया.
जिसके कारण मेल ओपीडी में मौजूद चिकित्सक डा. विनोद कुमार द्वारा लगभग 300 मरीजों का इलाज व परामर्श किया गया. सरकार एक ओर दवा से लेकर अन्य सुविधाओं को उपलब्ध करा रही है. लेकिन चिकित्सक के अभाव में मरीजों को बेहतर इलाज से बंचित होना पड़ रहा है. बिडंबना है कि एक मात्र महिला चिकित्सक के सहारे यह अस्पताल संचालित हो रहा है. जिसके जिम्मे ओपीडी, प्रसव कक्ष एवं अल्ट्रासाउंड भी है.
760 मरीज हुए पंजीकृत . सोमवार को सदर अस्पताल के ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर 760 मरीजो का पंजीकरण किया गया. जिसमे मेल व सर्जिकल ओपीडी के 300 मरीज को मेल ओपीडी में इलाज किया गया. आलम यह रहा कि चार पांच घंटे तक चलने वाले मरीज पर प्रति मरीज एक मिनट से भी कम समय दिया गया. यही हाल शिशु ओपीडी का भी है. जहां ओपीडी एसएनसीयू के अलावे चिकित्सक से इमरजेंसी सेवा भी ली जाती है.