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जहां हुआ था राम सीता का मिलन, आज है उपेक्षित

अनदेखी l इतिहास के पन्नों से जुड़ा फुलहर गिरिजा स्थान में अब नहीं दिखते फूल के पौधे हरलाखी (मधुबनी) : मर्यादा पुरुषोत्तम राम व मां जानकी के विवाह की कहानी जिस पुष्प वाटिका से शुरू हुई थी, आज वह बदहाल है. आलम यह है कि लोग इस धार्मिक पुष्प वाटिका को देख लें, तो कतई […]

अनदेखी l इतिहास के पन्नों से जुड़ा फुलहर गिरिजा स्थान में अब नहीं दिखते फूल के पौधे

हरलाखी (मधुबनी) : मर्यादा पुरुषोत्तम राम व मां जानकी के विवाह की कहानी जिस पुष्प वाटिका से शुरू हुई थी, आज वह बदहाल है. आलम यह है कि लोग इस धार्मिक पुष्प वाटिका को देख लें, तो कतई नहीं मानेंगे कि इसी पुष्प वाटिका में खुद भगवान राम-सीता फूल तोड़ने आये थे. हम बात कर रहे हैं प्रखंड क्षेत्र के फुलहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण के पन्नों से जुड़े गिरिजा स्थान की.
अब एक भी पौधा नहीं. धार्मिक और एेतिहासिक रूप से प्रसिद्ध इस पुष्प वाटिका में अब एक भी पौधा नहीं है. पर्यटन स्थल में शामिल रहने के बावजूद विकास नहीं हो पा रहा, या यूं कहें कि अब तक इस दिशा में पहल शुरू ही नहीं हो सकी है. कभी माता गिरिजा सहित कई देवी देवताओं से सुशोभित इस स्थान का दर्शन करने दूर दराज से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते थे. अब आने पर श्रद्धालुओं
जहां हुआ था
पुष्प वाटिका को देखने के बाद मायूसी ही हाथ लगती है.
आस्था बरकरार पर स्थल कर रहा मायूस
आज भी इस स्थान को लेकर मिथिला वासियों की आस्था व विश्वास चरम पर है. मुख्य पुजारी उमेश गिरि, सुरेंद्र गिरि व रमेश गिरि ने बताया कि सरकारी महकमा इस स्थान को पर्यटन स्थल की सूची में शामिल करने के बावजूद संबंधित विभाग के द्वारा सौंदर्यीकरण पर कोई कार्य नहीं किया गया है. सरकार ने यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है. विभाग ने तालाब के जीर्णोद्धार का कुछ कार्य शुरू तो किया, लेकिन कार्य पूरा नहीं हो सका.
इतना ही नहीं बाग तराय के नाम से प्रसिद्ध पुष्प वाटिका जहां माता सीता पुष्प लोढ़ने आती थीं, चाहरदीवारी नहीं होने से असुरक्षित है. मंदिर के स्थानीय सदस्यों के द्वारा फूल लगाया तो जाता है, लेकिन वाटिका खुला रहने के कारण मवेशी व असामाजिक तत्व इसे ध्वस्त कर देते हैं. स्थानीय मुखिया बनारसी देवी, सरपंच शीला देवी, पंसस नवल यादव, ग्रामीण प्रमोद कुमार साह, छोटे साह, हनुमान कुमार, अनीता देवी सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि ढाई वर्ष पूर्व इस स्थान को पर्यटन स्थल की सूची में शामिल किये जाने के बावजूद विकास कार्य नहीं किया जा रहा है. इस संबंध बेनीपट्टी एसडीएम मुकेश रंजन ने बताया कि इस स्थान पर हमारी नजर बनी हुई है. शीघ्र यहां पर्यटन स्थल संबंधी विकास कार्य पर पहल की जायेगी.
रामायण में है स्थल का जिक्र
बाग तराइ का जिक्र धार्मिक पुस्तक रामायण में भी है. बाग तराई के पंडित उमेश गिरि बताते हैं कि रामचरितमानस में लिखा है कि ” देखन बागु कुंअर दुइ आए, बय किशोर सब भांति सुहाए, श्याम गौर किमि कहीं बखानी , गिरा अनयन नयन बिनु बानी. इसके अलावे फुलहर के बाग तराई का जिक्र भी है. बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत, परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत. मध्य बाग सरू सोह सुहावा, मनि सोपान विचित्र बनावा. बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा, जलखग कूजत गुंजत भृंगा. ”
पंडित उमेश गिरि कहते हैं कि यदि जनक के धाम जनकपुर, रामचंद्र का धनुष भंग की बातें सही और प्रामाणिक हैं, तो यह बगिया भी प्रामाणिक है. आज तक किसी दूसरी बगिया का जिक्र रामायण या किसी अन्य धर्मग्रंथ, साधु महात्माओं ने नहीं किया है. जब कभी राम सीता के प्रथम मिलन की बातें होती हैं, तो इसी बाग तराई का जिक्र आता है. यह एकमात्र राम-सीता के प्रथम मिलन का स्थल है.
पर्यटन स्थल की सूची में शामिल होने के बावजूद नहीं हो रहा विकास
विश्वािमत्र संग आये थे राम व सखियों संग माता सीता
रामायण में जिस पुष्प वाटिका की बातें की गयी हैं, वह फुलहर स्थित यही पुष्प वाटिका है. रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि विश्वािमत्र के आश्रम से चलकर भगवान श्रीराम फुलहर बाग तराय वाटिका घूमने आये थे. यहीं पर वह गुरु की पूजा के लिये भाई लक्ष्मण के साथ फूल तोड़ने आये थे. इसी समय हर दिन की भांति मिथिला के राजा जनक की दुलारी माता सीता भी अपने सखियों संग आयी थीं. इसी पुष्प वाटिका में दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा था.
पर्यटन विभाग ने शुरू किया था काम, अधूरा ही रुका
इस स्थल को पर्यटन विभाग ने सौंदर्यीकरण की दिशा में आदेश जारी कर दिया है. जिलाधिकारी ने भी सीओ से काम की प्रमुखता को लेकर मंतव्य मांगा है. जानकारी के अनुसार तीन साल पहले करीब एक करोड़ रुपये से इस परिसर व गिरिजा मंदिर के विकास के काम शुरू किये गये. पहले चरण में बाग तराई की चहारदीवारी का काम शुरू किया गया. करीब तीन फुट तक काम करने के बाद आधा अधूरा ही छोड़ दिया गया. गिरिजा मंदिर से प्रमुख द्वार तक पीसीसी सड़क निर्माण भी किया गया. इसके बाद काम किस कारण से रुका, यह किसी को पता नहीं.
जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने कहा है कि इस बाग के सौंदर्यीकरण की दिशा में जल्द ही पहल होगी.

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