मधुबनी : बैंकों में अब उपभोक्ता का काम नि:शुल्क नहीं होता है. सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में सभी बैंकों में चेक बुक निर्गत करने से लेकर खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर पैसा काटा जा रहा है. यानी अब कोई भी सुविधा बैंकों में नि:शुल्क नहीं होता है.
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बैंक में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर कटती है राशि
मधुबनी : बैंकों में अब उपभोक्ता का काम नि:शुल्क नहीं होता है. सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में सभी बैंकों में चेक बुक निर्गत करने से लेकर खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर पैसा काटा जा रहा है. यानी अब कोई भी सुविधा बैंकों में नि:शुल्क नहीं होता है. अधिकतम खाताधारक को यह मालूम नहीं […]
अधिकतम खाताधारक को यह मालूम नहीं कि बैंक की ओर से निर्गत एटीएम कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, इंटरेस्ट चेक लेटर, नो योर कस्टमर और अन्य देय सुविधाओं के लिए एक तय रकम उनके खातों से स्वत: काट ली जाती है. स्टेट बैंक, पीएनबी, एक्सिस बैंक समेत अन्य बैंक ग्राहकों से बैंक चार्ज ले रहे हैं. अब तो कई बैंकों में 50 हजार रुपये तक की नकद राशि ही नि:शुल्क है. इसके उपर नकदी जमा करने पर 2.50 रुपये प्रति हजार लिये जा रहे हैं.
न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर भी कटती है राशि. बैंक के ग्राहक अपने खाता में एक तय राशि से कम पैसा रखने पर भी राशि काटी जा रही है. महानगरों को छोड़ अन्य शहरों के लिए बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर बैंक 100 से 500 रुपये तक ले रहे हैं. यह राशि प्रति माह न्यूनतम राशि नहीं होने पर खातों से काट ली जा रही है.
जीएसटी से ग्राहकों की जेब हो रही ढीली. पूरे देश में जीएसटी लागू होने के साथ ही एटीएम से निकासी, डिमांड ड्राफ्ट, कैश डिपोजिट, चेक बुक जैसी सभी बैंकिंग सेवाएं महंगी हो गयी है. इस सर्विसेज पर पहले 15 फीसदी सर्विस टैक्स लग रहा था.
जो बढ़कर 18 फीसदी हो गया है. डेबिट कार्ड, फंड ट्रांसफर, फ्री सर्विस की सीमा के बाद एटीएम से पैसे की निकासी, होम लोन प्रोसेसिंग फीस, लॉकर सुविधा सहित चेक क्लेशन आदि सभी सुविधाओं पर सर्विस चार्ज देना पड़ रहा है.
पैसे की रहती है किल्लत. नोटबंदी के बाद बैंकों में पैसे की कमी देखी जा रही है. कई बैंकों में तो एक सप्ताह में एक निश्चित राशि की ही निकासी की जाती है. वहीं एटीएम में भी रुपये की कमी देखी जा रही है. आये दिन एटीएम
पर लंबी कतारें देखी जा रही है. कई दिनों तक तो एटीएम में पैसा भी नहीं डाला जा रहा है. जिसके कारण लोगों को घंटों कतार में खड़े होने के बाद लौट जाना पड़ता है.
रुपये ट्रांसफर करने पर
भी देना होगा चार्ज
यदि कोई खाताधारक किसी दूसरे खाता में पैसा ट्रांसफर करता है तो भी अब उसका चार्ज लिया जायेगा. कई ऐसे ग्राहकों को यह भी मालूम नहीं है कि वे जिस चेक पर आरटीजीएस और एनइएफटी के उपर हस्ताक्षर कर जमा करते हैं उस पर भी चार्ज लिया जाता है. कुछ बैंक में जो राशि आप भेज रहे उन पर एक राशि तथा किसी बैंक में स्वत: खाता से काट लिया जाता है. अब अधिकतर बैंकों में महीने में 50 हजार रुपये तक की नकद राशि सिर्फ चार बार ही मुफ्त में जमा कर सकते है. बैंकों की तरफ से हस्ताक्षर के वेरिफिकेशन, डुप्लीकेट पासबुक के लिए भी चार्ज लिये जा रहे हैं.
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