मधेपुरा : मधेपुरा में ग्रीनफील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्टरी का टेंडर हो चुका है, लेकिन भूमि अधिग्रहण का मामला अब तक पूरी तरह साफ नहीं हुआ है. किसान जमीन की एवज में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 के अनुसार बाजार दर के अनुसार चौगुनी कीमत मांग रहे हैं.
लेकिन, रेल विभाग ने अब तक इस दर पर अपनी सहमति नहीं दी है. एक दिन पहले कोसी प्रमंडलीय आयुक्त सह आर्बिट्रेटर टीएन विंध्वेश्वरी ने किसानों से वार्ता कर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की. लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजे के अतिरिक्त अधिग्रहित जमीन के भू-स्वामी के परिवार में से एक को फैक्टरी में नौकरी दी जाये.
पुनर्वास की व्यवस्था भी हो. इसके अलावा वर्ष 2008 में अधिग्रहण के चिह्नित 1116 एकड़ जमीन में से रेलवे केवल 307 एकड़ जमीन ही लेने की बात कही जा रही है. शनिवार को तुनियाही में अधिग्रहण की जद में आने वाले किसानों ने इस बारे में विचार विमर्श किया.
अधिग्रहण से बची जमीन हो वापस . बैठक में किसानों का नेतृत्व कर रहे प्रकाश कुमार पिंटू ने कहा कि 11 सौ सोलह एकड़ जमीन में से 307 एकड़ जमीन लेने के बाद शेष रह गयी 809 एकड़ जमीन अधिसूचना जारी कर किसानों को वापस की जाये. जमीन अधिग्रहण से पहले रेल विभाग को इस संबंध में लिखित रूप में देना होगा.
किसानों की सबसे अहम मांग है कि अधिग्रहित जमीन के स्वामियों की फैक्ट्री में 25 फीसदी हिस्सेदारी भी सुनिश्चित हो. इसके अलावा किसानों की कई अन्य छोटी मांगें भी हैं. किसानों का कहना है कि जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब तक वे जमीन अधिग्रहण का विरोध जारी रखेंगे. जमीन अधिग्रहण की जद में आने वाले किसान ‘ किसान संघर्ष मोरचा’ के बैनर तले अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.