10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रखंडों में हाइमास्ट लाइट बनी शोपीस

शंकरपुर : प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चका चौध रोशनी व आमजन को रोशनी के सुविधा के लिए पंचायत समिति मद से वित्तीय वर्ष 2010-11 में हाई मास्ट लाइट लाखों की लागत से लगवायी गयी थी. जहां लाइट लगने से लोगों में एक आस जगी थी कि यह क्षेत्र भी रौशनी से चकाचौंध हो […]

शंकरपुर : प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चका चौध रोशनी व आमजन को रोशनी के सुविधा के लिए पंचायत समिति मद से वित्तीय वर्ष 2010-11 में हाई मास्ट लाइट लाखों की लागत से लगवायी गयी थी. जहां लाइट लगने से लोगों में एक आस जगी थी कि यह क्षेत्र भी रौशनी से चकाचौंध हो जायेगा.

लेकिन अभी तक उस हाई मास्ट लाइट से यहां के लोगों को रोशनी तक नसीब नहीं हुआ. यह लाइटप्रखंड के लिए मुखौटा बन कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरपुर का शोभा बढ़ा रहा है. हाई मास्ट लाइटलगने से सरकारी कर्मी व मरीजों को काफी खुशी हुआ कि अब उन्हें अंधेरे में रात गुजारना नहीं पड़ेगा. लेकिन यह खुशी चंद पलों के लिए था. वहीं रौशनी के अभाव में अस्पताल परिसर में रात्रि में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ ता है.

कई बार लाइटजलाने के लिए प्रखंड से बिजली विभाग को भी आवेदन दिया गया. लेकिन अभी इस ओर किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया है. मालूम हो कि हाई मास्ट लाइटतत्कालीन प्रखंड प्रमुख के सौजन्य से अपस्ताल परिसर में समुचित रौशनी के लिए लगाया गया था. लेकिन अस्पताल परिसर में रात्रि में गुजरने वाले मरीजों व उसके परिजनों को अंधेरे के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं रात्रि में चोर उच्चकों का भी भय बना रहता है.

इन परेशानियों को देखते हुए मरीज के परिजन सुखदेव ऋषिदेव, सोमी ऋषिदेव, मोती सरदार, बिंदेश्वरी मेहता, राजेंद्र दास, कुसम लाल यादव, भीम यादव, छोटे लाल राम, जय प्रकाश राम सहित कई लोगों ने हाईमास्ट जलाने की मांग प्रशासन से की है.एक महीना बाद भी पसरा अंधेरागम्हरिया . प्रखंड मुख्यालय में लगे हाइमास्ट लाइट सिर्फ शोभा की बस्तु बनी हुई है.

सांसद मद से 2005 में ही गम्हरिया पोस्टऑफिस भागवत चौक पर लगे हाईमास्ट वर्षों से खराब रहने के कारण रात में राहगिरों व आसपास रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हाइमास्ट लाइट के लगने से रात में रौशनी की व्यवस्था होने के कारण चोर उच्चकों का भय समाप्त हो गया था. राहगीरों की परेशानी कम हो गयी थी.

लेकिन लोगों ने बताया कि हाइमास्ट लाइट लगने के कुछ ही दिनों में खराब हो गया, मुश्किल से एक महीना जला होगा और जो आज तक ठीक नहीं हुआ. वहीं लोगों ने बताया कि हाईमास्ट लाइट के लिए ऑपरेटर की भी व्यवस्था नहीं की गयी थी.

जो समय पर इसकी देख – रेख करते रहे. वर्षों से खराब पड़े लाइटकी सुधी लेने वाला कोई नहीं है. विद्युत विभाग के द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नहीं ली गयी. इस बाबत विद्युत विभाग के जेई से दुरभाष पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि हाइमास्ट लाइट के लिए बिजली विभाग से कोई कंजूमर नहीं बना है. वहीं गम्हरिया पंचायत के मुखिया सरिता देवी ने बताया कि गम्हरिया पंचायत में दो हाइमास्ट लाइट लगे हैं. मगर पंचायत में किसी भी प्रकार का बिजली विभाग द्वारा कोई चिट्ठी नहीं है.

जिस कारण मुझे इस बात की जानकारी नहीं है. पंचायत को कंजूमर बनना पड़ता है. पांच लाख की लाइट हुई बेकारग्वालपाड़ा . प्रखंड मुख्यालय ग्वालपाड़ा में लगभग पांच लाख रुपये की लागत से सांसद मद से लगाया गया हाइमास्ट लाइट बेकार पड़ा है.

सांसद मद से ग्वालपाड़ा में उच्च विद्यालय व प्रखंड मुख्यालय मेन गेट के सामने पंचवटी चौक पर लगभग पांच लाख की लागत से हाईमास्ट लाइट लगायी गयी. हाईमास्ट लाइट की चमचमाती रोशनी से कुछ दिनों तक लोगों को रात्रि में आवागमन में काफी सुविधा महसूस हुई. लेकिन कुछ दिनों बाद ही लाइट खराब हो गई और आज तक इसे दुरूस्त नहीं कराया जा सका है.

रोशनी रहने के कारण एनएच 106 पर असामाजिक तत्वों की आवाजाही भी पुलिस की नजर में रहती थी इन दिनों पूरा क्षेत्र अंधेरे की आगोश में है. प्रखंड में विद्युत सब स्टेशन भी है लेकिन विद्युत कर्मी लाइट को जलाना तो दूर दुरूस्त करना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं.

बता दें कि पटना की माइक्रोटेल कंप्यूटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की निविदा के आधार पर लाइट लगायी गई थी और इसके रखरखाव के लिए पांच वर्ष के लिए कंपनी का इकरार नामा भी कराया गया था. वर्तमान में स्थानीय लोगों ने सांसद से इस संबंध में शिकायत करने का मन बनाया है और जल्द ही क्षेत्र के लोग इसकी शिकायत सांसद से करेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें