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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व एसटीपी का निर्माण आज से

मधेपुरा : शहर के पहले व सबसे बड़े 73 लाख एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व एसटीपी निर्माण का काम नौ जुलाई से आरंभ हो होगा. यह कार्य नमामि गंगे परियोजना के तहत बुडको कंपनी के द्वारा सीवरेज नेटवर्क का काम के तहत किया जा रहा है. इस बाबत नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण […]

मधेपुरा : शहर के पहले व सबसे बड़े 73 लाख एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व एसटीपी निर्माण का काम नौ जुलाई से आरंभ हो होगा. यह कार्य नमामि गंगे परियोजना के तहत बुडको कंपनी के द्वारा सीवरेज नेटवर्क का काम के तहत किया जा रहा है.

इस बाबत नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि मंगलवार से जमीन की नापी व घेराव का काम चालू हो जायेगा. उन्होंने बताया कि कुल दो एकड़ 25 डिसमिल जमीन का आवंटन सरकार के द्वारा हुआ है. इसमें दो एकड़ जमीन सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए तथा 25 डिसमिल जमीन सीवरेज प्लांट के लिए दिया गया है.
इसमें अभी यह तय नहीं किया गया है कि किस और से एसटीपी के लिए तथा किस और से सीवरेज प्लांट के लिए जमीन दिया जाय इसके लिए एक से दो दिन के अंदर अभियंताओं की एक टीम जमीन का निरीक्षण करेगी. इसके बाद दोनों प्लांटों का काम शुरू होगा. गौरतलब है कि इस जमीन को लेकर पहले भी कई लोगों ने जमीन पर अपना दावा पेश किया था.
जांच पड़ताल के दावा झूठा पाया गया. इसके बाद दावा पेश करने वालों पर कार्रवाई भी हुई. नगर परिषद के अधिकारियों ने इस बात को गंभीरता से लेते हुये जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला के सामने यह बात रखी कि एसटीपी के निर्माण के दौरान हो सकता है. कुछ लोग विरोधस्वरूप अड़चनें खड़ी कर सकते हैं.
इस बाबत जिलाधिकारी नपदीप शुक्ला ने नगर परिषद को आश्वस्त करते हुये कहा के प्लांट निर्माण के दौरान अगर कोई जमीन पर अपना दावा करता है तथा किसी प्रकार की गतिरोध उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो पुलिस प्रशासन की ओर से उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
क्या है मॉडल
इसका डिजाइन इस तरह बनायी जा रही है कि नालों और सीवरेज का गंदा पानी नदी में गिरकर न ही उसे प्रदूषित करे और न बर्बाद हो. बल्कि, शोधित पानी का इस्तेमाल हो. मुख्यमंत्री के इससे संबंधित निर्देश को ध्यान में रखकर बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बुडको) बिहार के कई बड़े शहरों की ड्रेनेज योजनाओं के निर्माण के लिये नये सिरे से खाका तैयार करने में जुटा है.
ड्रेनेज सिस्टम और सीवरेज का प्रबंधन ऐसा हो कि पानी की निकासी शहर से तुरंत हो और किसी भी तरह से जलजमाव न हो. इसके मद्देनजर पीपीटी प्रजेंटेशन के दौरान नालों के निर्माण में कुछ सुधार के भी निर्देश दिये गये. इस बात का खास ध्यान रखा जायेगा के पानी की बर्बादी न हो उसे पीने और कृषि कार्य में भी इस्तेमाल किया जायेगा.
80 करोड़ की लागत से स्थापित होगा प्लांट
इस योजना के तहत मधेपुरा में दो एसटीपी का निर्माण होगा. निर्माण के लिए दोनों के लिए जगह का चुनाव कर लिया गया है जिसमें पहले एसटीपी का निर्माण वार्ड नंबर एक में लगभग एक एकड़ के क्षेत्रफल में और दूसरा वार्ड नंबर 26 में दो एकड़ के क्षेत्रफल में निर्माण होगा. सीवरेज नेटवर्क का निर्माण कार्य भी लगभग एक महीने के बाद चालू हो जाएगा. जिसकी की कुल अनुमानित लागत 80 करोड़ तक हो सकती है.
49 लाख एमएलडी पानी होगा पीने योग्य
सीवरेज प्लांट मिलाकर 49 लाख एमएलडी पानी का वहां होगा. इसमें पहले सीवरेज प्लांट पर जो कि एक एकड़ में होगा. वहां 12 लाख मिली लीटर प्रतिदिन और दूसरा जो कि वार्ड नंबर 26 में होगा.
कुल दो एकड़ में फैला होगा. वहां 37 लाख मिली लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी को शोधित कर पीने योग्य बनाया जायेगा. वही शहर में बन रहे दो एसटीपी प्वाइंट पर गीले कचरे को री साइकिल करके खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा. वहीं सूखे कचरे का भी इस्तेमाल विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हुए निस्तारण किया जायेगा.

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