17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मेडिकल कचरे को ले अस्पताल प्रशासन उदासीन

मधेपुरा : सदर अस्पताल में बायो मेडिकल कचरे की निस्तारण में लापरवाही बढ़ती जा रही है. सदर अस्पताल का कचरा परिसर के एक बड़े से गड्ढे में फेंका जा रहा है. आवारा पशु अस्पताल परिसर में विचरण करते रहते है और गड्ढे में गिर जाते है. मानों यहां नियम का कोई पालन नहीं किया जा […]

मधेपुरा : सदर अस्पताल में बायो मेडिकल कचरे की निस्तारण में लापरवाही बढ़ती जा रही है. सदर अस्पताल का कचरा परिसर के एक बड़े से गड्ढे में फेंका जा रहा है. आवारा पशु अस्पताल परिसर में विचरण करते रहते है और गड्ढे में गिर जाते है. मानों यहां नियम का कोई पालन नहीं किया जा रहा है.

लापरवाही का यह आलम है कि अस्पताल के सारे मेडिकल कचरा गड्ढे में फेंका जा रहा है. अस्पताल के सामान्य वार्ड के पीछे एक बड़ा सा गड्ढा में दवाइयों का कचरा एकत्रित किया जाता है और वहीं पर जला देते हैं. वही सामान्य वार्ड के पीछे नालियों में गंदगी कचरा डाला जाता है. इससे लोगों में संक्रमण बीमारी फैलने का डर बना रहता है.
गंदगी से एड्स जैसी गंभीर बीमारी फैलने का बना रहता है डर : मेडिकल कचरे के निवारण के लिए चार बॉक्स लगाये जाने का प्रावधान है, लेकिन बॉक्स लगाने के नाम पर सदर अस्पताल खानापूर्ति की जा रही है और जैसे तैसे परिसर में ही फेंका जा रहा है. बायो मेडिकल कचरा को संबंधित एजेंसी के हवाले करने की बजाय खुले में फेंकने व जलाने से आम आदमी को संक्रमण होने का खतरा रहता है.
नशे की प्रवृत्ति वाले युवा इस कचरे में फेंके गये सिरिंच का प्रयोग करते हैं. इससे एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों के साथ ही अन्य संक्रमण बीमारी का भय बना रहता है. इस कचरे में संक्रमित खून की पट्टी, उपयोगिक इंजेक्शन, दवाई, ऑपरेशन के द्वारा चीर फार से निकला अपशिष्ट आदि रहते हैं.
इसको सावधानीपूर्वक एक चिन्हित जगह पर फेंकना चाहिए. यह अस्पताल में सबसे बड़ा सक्रमण का कारण हो सकता है. मेडिकल कचरे का सही निस्तारण नहीं करना कानून का उल्लंघन है.
सफाई कर्मी जलाते हैं अस्पताल कचरा, मरीजों का घुटता है दम : सदर अस्पताल ही खुद लोगों की स्वास्थ्य का दुश्मन बन गया है. अस्पताल में रोजाना निकालने वाले बायोवेस्ट के निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं है. उल्टे सफाई कर्मी कचरा इकट्ठा करके उसमें आग लगा देते हैं या बड़े गड्ढे में फेंक देते हैं.
मेडिकल कचरा के साथ ही महिला वार्ड से गंदे कपड़े जलाने से अस्पताल में भर्ती मरीज और नवजात शिशु की सेहत असर पड़ता है. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन के द्वारा बायोवेस्ट को खुले में फेंका जा रहा है.
कचरे में विचरण करते है आवारा पशु : हालात यह है कि इस मामले में अस्पताल प्रशासन ही नहीं पूरा अमला खुद बायोवेस्ट खुले में फेंकने होने वाले हानिकारक प्रभाव के बारे में भी जानते हैं, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे है.
अस्पताल परिसर में कचरा रहने के कारण पशुओं का कचरे के ढेर के पास जमावड़ा लगा रहता है. कचरे के ढेर पर विचरण कर रहे पशु कचरे को पूरे अस्पताल परिसर में बिखेर देते है. इस कारण उस कचरे की गंदगी से मरीजों को तो परेशानी होती है, साथ ही उसमें नुकेले पदार्थ से घायल होने का भी खतरा रहता है.
दुर्गंध से मरीज है परेशान : खुले में रखी बायोवेस्ट का समय पर निस्तारण नहीं किये जाने पर इसमें बहुत ही भयानक दुर्गंध उठती है जो गंभीर बीमारियों को जन्म देती है. ऐसे में इस बायोवेस्ट को तुरंत प्रभाव से निस्तारण करने की कार्रवाई को अमल में लाना चाहिए. कचरे के दुष्प्रभाव मेडिकल वेस्ट को जलाने से पछुआ हवा के रूख के साथ कई बार अस्पताल में भर जाता है. अस्पताल में भर्ती मरीज और नवजात शिशु भी सुरक्षित नहीं है.
कचरा बीनने वाले बच्चे होते हैं घायल
अस्पताल परिसर में अपने जीविकोपार्जन के लिए बच्चे इधर उधर से कचरा से कुछ पदार्थ को बीनते है और कबाड़ में बेचते है. जिससे कुछ पैसा हो जाय और एक वक्त की रोटी मिल सके, लेकिन उसे यह पता नहीं होता है कि अस्पताल परिसर के कचरे में वह अपने बीमारी को दावत दे रहा है.
डॉक्टर खुद मानते हैं प्रसव वार्ड से निकलने वाली पट्टी या खराब खून तथा अन्य सामग्री से गंभीर बीमारी होती है, लेकिन इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का पहल नहीं करना इनके लापरवाही की पोल पट्टी खोल कर रख दी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें