उदासीनता. सदर अस्पताल के आइसीयू में धूल फांक रहा करोड़ों का उपकरण
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सदर अस्पताल बना रेफर अस्पताल
उदासीनता. सदर अस्पताल के आइसीयू में धूल फांक रहा करोड़ों का उपकरण अप्रैल 2016 में आइसीयू का जिलाधिकारी ने किया था उद्घाटन मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में आइसीयू भवन जिलेवासियों को मुंह चिढ़ा रहा है. जिलेवासियों को आवश्यक सुविधाओं से लैस आइसीयू भवन रहने के बावजूद इसका लाभ नहीं मिल रहा […]
अप्रैल 2016 में आइसीयू का जिलाधिकारी ने किया था उद्घाटन
मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में आइसीयू भवन जिलेवासियों को मुंह चिढ़ा रहा है. जिलेवासियों को आवश्यक सुविधाओं से लैस आइसीयू भवन रहने के बावजूद इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इसके लिए प्रशासनिक पदाधिकारी को लोग कोस रहे हैं. करोड़ों की लागत से अप्रैल 2016 में बन कर तैयार सदर अस्पताल का आइसीयू भवन अबतक चालू नहीं हो सका है. लंबे अर्से बाद जिले में आइसीयू भवन बनने पर जिलावासियों में यह आस जगी थी कि अब आपात अवस्था में मरीजों को पटना या दरभंगा का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, लेकिन डेढ़ वर्ष बीतने के बाद भी जिले के लोगों की यह उम्मीद विभागीय लापरवाही के कारण पूरी नहीं हो सकी है.
आलम यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने भवन का ताला कभी कभार खुलता है. इन दिनों सेंट्रल टीम जब निरीक्षण करने मधेपुरा आयी तो उसका ताला खुला, जिसमें करोड़ों का उपकरण धूल फांक रहा है. हर रोज सदर अस्पताल में दर्जनों ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें आइसीयू के अभाव में दरभंगा-पटना रेफर कर दिया जाता है. कुछ तो वहां तक पहुंच पाते हैं, जबकि कुछ रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. इस बारे में पूछे जाने पर अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं.
वैसे अस्पताल कर्मियों की मानें तो भवन बनने के बाद सरकार द्वारा इसे उपकरण मुहैया तो कराया गया, लेकिन ऑपरेटर उपलब्ध नहीं कराया गया. साथ ही यह भी बताया जाता है कि आइसीयू विशेषज्ञ चिकित्सक भी जिले में उपलब्ध नहीं है. आइसीयू भवन बनने के बाद अप्रैल 2016 में डीएम ने आइसीयू भवन का उद्घाटन भी किया था. उद्घाटन के पश्चात औपचारिकता पूरी कर फिर इसे बंद कर दी गयी. इसके बाद बंद आइसीयू को खोलने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो सकी.
मरीजों का समय पर नहीं हो पाता है इलाज
आइसीयू के अभाव में सदर अस्पताल महज रेफर अस्पताल बनकर रह गया है. हर तरह के मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद दरभंगा या पटना रेफर कर दिया जाता है. नतीजा यह होता है कि गरीब मरीजों को सही समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता है. हाल फिलहाल कई घटनाएं घटी है जब प्रारंभिक इलाज के बाद मरीज को रेफर कर दिया गया और रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया. दबी जुबान में चिकित्सक बताते हैं कि सही व्यवस्था नहीं होने के कारण हम मरीज को यहां नहीं रोक सकते हैं. रोकने के बाद अगर किसी तरह की घटना घट जाती है, तो परिजन हंगामा पर उतारू हो जाते हैं.
आइसीयू में कर्मी व डॉक्टर नहीं
सदर अस्पताल स्थित आइसीयू भवन में करोड़ों रुपये के उपकरण व उपस्कर तो सरकार द्वारा मुहैया करा दिया है, लेकिन इसको चलाने के लिए अबतक ऑपरेटर को बहाल नहीं किया है. आइसीयू को फिर से चालू कराने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई कवायद नहीं की जा रही है. इस संबंध में सदर अस्पताल के प्रबंधक नवनीत चंद्रा ने कहा कि ऑपरेटर के अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर व कर्मी के नहीं रहने के कारण आइसीयू भवन में ताला बंद है.
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