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केंद्र तो है, पर मरीज ही नहीं

शराब बंदी . जिले के नशामुक्ति केंद्र में अब तक पहुंचे हैं मात्र 36 मरीज सूबे में शराब बंदी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिले में सदर अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की, ताकि इसके आदी लोगों को परेशानी होने पर यहां भरती कर उनका उपचार किया जा सके या उनकी काउंसेलिंग की […]

शराब बंदी . जिले के नशामुक्ति केंद्र में अब तक पहुंचे हैं मात्र 36 मरीज

सूबे में शराब बंदी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिले में सदर अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की, ताकि इसके आदी लोगों को परेशानी होने पर यहां भरती कर उनका उपचार किया जा सके या उनकी काउंसेलिंग की जा सके. वर्तमान में जिले में नशा मुक्ति केंद्र का आलम यह है कि लाखों खर्च कर केंद्र तो स्थापित कर दिया गया है, परंतु अब चिकित्सक मरीज की केवल राह देखते हैं.

एक मरीज को किया गया था भरती

विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो सदर अस्पताल में संचालित नशा मुक्ति केंद्र में अप्रैल से 15 जून तक 36 मरीज पहुंचे हैं. बुधवार के दिन वहां एक भी मरीज इलाज कराने के लिए नहीं आया. स्वास्थ्य समिति से जुड़े कर्मी ने बताया कि एक अप्रैल से शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 36 मरीज अस्पताल में इलाज कराने के लिए आये हैं. इस दौरान सिर्फ एक मरीज को भरती किया गया जिन्हें इलाज के बाद छोड़ दिया गया.

लखीसराय : लाखों के नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों का आगमन नहीं हो रहा है. सिविल सर्जन डा राज किशोर प्रसाद ने बताया कि केंद्र में इक्का दुक्का मरीज ही आ रहे हैं. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि यहां इक्का दुक्का जो मरीज आते हैं उन्हें ओपीडी में ही सलाह दे दी जाती है. वहीं सरकार के द्वारा इसे 10 से बढ़ा कर 20 बेड का बनाने का निर्देश दिया गया है. जबकि 10 बेड वाले नश मुक्ति केंद्र में ही मरीज जब नहीं पहुंच रहे तो 20 बेड का बना कर क्या होगा.
इसको लेकर विभाग भी आश्चर्य जता रहा है. सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र का संचालन होने के बाद भी मरीजों का वहां नहीं पहुंचना व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है. कि शराबियों ने शराब छोड़ी है या इन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था ढूंढ ली है. इस संबंध में नशा मुक्ति केंद्र में प्रतिनियुक्त चिकित्सक डा प्रभात कुमार ने बताया कि शराब के आदी लोगों के इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्र का संचालन किया जा रहा है, लेकिन यहां पर मरीजों की संख्या बहुत ही कम है. नशा मुक्ति केंद्र में कभी-कभार ही इक्का दुक्का मरीज आ रहे हैं.

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