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पानी में डूबी सैकड़ों एकड़ में लगी फसल

दिघलबैंक : प्रखंड के किसानों की हजारों एकड़ में लगी धान की फसल तिस्ता डैम से आई बाढ़ के पानी में डूबकर नष्ट हो गई है. दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र से आई इस बाढ़ ने सभी पंचायतों को भी अपनी चपेट में ले लिया. क्षेत्र में हजारों एकड़ धान की फसल में करीब दस फीट पानी […]

दिघलबैंक : प्रखंड के किसानों की हजारों एकड़ में लगी धान की फसल तिस्ता डैम से आई बाढ़ के पानी में डूबकर नष्ट हो गई है. दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र से आई इस बाढ़ ने सभी पंचायतों को भी अपनी चपेट में ले लिया. क्षेत्र में हजारों एकड़ धान की फसल में करीब दस फीट पानी जमा हो गया है. वहीं प्रखंड के बूढ़ी कनकई में आई बाढ़ से नदी के किनारे में लगी धान की फसल बर्बाद हो चुकी है. तालगाछ निवासी शिव नारायण यादव, उमेश यादव, गोकुल मोहन यादव, विश्व मोहन यादव, नीरज कुमार, टीका लाल यादव,

लक्षमी यादव, माधव कुमार, कौशल यादव, सतकौआ पंचायत के पूर्व मुखिया शंकर आनंद, शिव कुमार, गौरी आदि किसानों ने बताया कि एकाएक बूढ़ी कनकई और मरियाधार में पानी से आने से क्षेत्र में फैल गया जिससे भारी नुकसान हुआ है. किसानों ने बताया कि बीडीओ नर्मेदेश्वर झा ने फसल क्षति का निरीक्षण करने का आश्वासन दिया है.

बाढ़ में बहे कागजात कैसे मिलेगी मुआवजा
कोचाधामन में बाढ़ का पानी तो अब उतरने लगा है, लेकिन लोगों की परेशानियां बढ़ने लगी हैं. बाढ़ में अपनी जिंदगी किसी तरह बचाने वाले कई लोग अपने पहचान पत्र की तलाश में जुटे हैं. जो लोग बाढ़ के पानी से अपना लाल कार्ड, राशन कार्ड, पासबुक आदि नहीं बचा पाये उन्हें यह चिंता सता रही है कि अब बाढ़ के जख्म पर मरहम लगाने के लिए मिलने वाली सरकारी मुआवजा भी उन तक आखिर कैसे पहुंचेगी. अचानक आयी बाढ़ के बहाव में अधिकांश लोगों के घर में रखे आधार कार्ड, राशन कार्ड और पासबुक तक बह गए हैं. मुआवजा के लिए सरकारी तंत्र को अपने होने का सबूत लोगों को देना होगा, लेकिन वह तो बाढ़ के पानी में विलीन हो गया है. बाढ़ में बहे कागजात के बगैर सरकारी मुआवजा का मिलना भी मुश्किल होगा. मो भुट्टो कहते हैं कि प्रलयंकारी बाढ़ में जिंदगी तो बच गई पर कागजात नहीं बचा पाए. जिस पानी की धार में बड़े- बड़े घर बह गये उसमें कागज के टुकड़ों की क्या विसात. पिछले आठ दिनों से सड़क किनारे जीवन गुजारने के बाद पानी का जलस्तर घटने पर जब घर पहुंचे हैं तो छप्पर के साथ ठाठ में खोंसे राशन कार्ड और कोठी के ताखा पर रखा आधार कार्ड और पासबुक सब पानी में बह चुका था. बलिया पंचायत के विकास कुमार, रमेश कर्मकार गोद में बकरी और सर पर बर्तन लिए परिवार के साथ गांव की ओर बढ़ रहे थे. पूछने पर वे बताते हैं कि सात दिनों से स्कूल में रह रहे थे. अचानक आए पानी में परिवार, बकरी और बर्तन लेकर भाग निकले. बांकी का सारा सामान तो घर पर ही है. घर भी पानी में टूटकर गिर चुका है. इसलिए लगता है आधार कार्ड, राशन कार्ड और पासबुक भी पानी में तैर रहा होगा. रहीमुद्दीन बताते हैं कि घर में अब भी पानी है. कल गए थे, कुछ कागजात खोजने जो पानी आने को दौरान घर में छूट गया था, लेकिन सब कुछ पानी में बह गया है. घर में खाट और कुछ बांस-बल्ला बचा है. उसे भी चिंता सता रही है कि बिना कागजात सरकारी सहायता कैसे मिलेगी. अधिकारी अभी कुछ बताने को तैयार नहीं है. पानी ने वर्तमान से लेकर भविष्य तक खराब कर दिया है.

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