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आवेदक का पक्ष सुने बिना दाखिल-खारीज आवेदन को अस्वीकृत करना अब नहीं होगा आसान

आवेदक का पक्ष सुने बिना दाखिल-खारीज आवेदन को अस्वीकृत करना अब नहीं होगा आसान

प्रतिनिधि, खगड़िया अब आंख मूंद कर या फिर गलत मंशा से राजस्व कर्मचारी अथवा अंचल अधिकारी दाखिल-खारिज आवेदन को रिजेक्ट नहीं कर पायेंगे. राजस्व भूमि सुधार विभाग द्वारा ई- म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में नया बदलाव किया गया है. इसका फायदा यह होगा कि अब राजस्व कर्मी/ पदाधिकारी किसी भी रैयत का दाखिल-खारीज अस्वीकृत करने से पहले आवेदक का पक्ष सुनना पड़ेगा. बता दें कि विभागीय सचिव जय सिंह ने डीएम को पत्र लिखकर ऑन लाइन दाखिल-खारीज आवेदनों के निष्पादन को लेकर ई- म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में किये गये बदलाव की जानकारी दी है.

एडीएम आरती ने बताया कि दाखिल-खारीज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा ई- म्यूटेशन सॉफ्टवेयर में सुधार/ बदलाव किये जाने के बाद अब बिना रैयत का पक्ष जाने दाखिल खारिज के मामले को अस्वीकृत करना संभव नहीं होगा,सॉफ्टवेयर स्वयं इसे रोक देगा.

पहले सॉफ्टवेयर में नहीं था इस तरह का विकल्प

जानकारी के मुताबिक जमीन के दाखिल-खारीज आवेदन को अस्वीकृति करने पूर्व रैयत का पक्ष जानने की अनिवार्यता पहले भी थी, लेकिन सॉफ्टवेयर में विकल्प नहीं रहने के कारण सीओ सीधे किसी आवेदन को अस्वीकृत कर देते थे. राज्य स्तर पर समीक्षा के दौरान लगातार मिल रही उक्त शिकायत के बाद विभाग के वरीय अधिकारी ने बाबुओं की मनमानी रोकने के पुख्ता- इंतजाम किये हैं.

आवेदन अस्वीकृत करने का बताना होगा कारण

राज्य स्तर से जारी आदेश के बाद अब दाखिल खारिज के किसी आवेदन को सीओ एक बार में सीधे अस्वीकृत नहीं कर पायेंगे. आवेदन अस्वीकृत करने से पहले आवेदक से उसका पक्ष जानना होगा. बिना मामले की सुनवाई किये सीओ या राजस्व अधिकारी सिर्फ कारण लिखकर इसे अस्वीकृत नहीं कर पायेंगे. आदेश फलक में सीओ को स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख करना होगा कि किस कारण से वे दाखिल-खारीज के आवेदन अस्वीकृत कर रहे हैं. इतना ही नहीं अगर आवेदन अस्वीकृत किये जाने की स्थिति बनती है तो आवेदक को नोटिस जारी कर उन्हें सूचना देते हुए सीओ उनका पक्ष जानेंगे. अगर आवेदक को कोई अन्य सक्ष्य देना है तो सीओ उसे प्राप्त कर उचित कार्रवाई करेंगे. यानि आवेदन अस्वीकृत करने के पहले सीओ सुनवाई करेंग. आवेदक की बातों को सुनेंगे. उनसे प्राप्त होने वाले साक्ष्य को एडमिट कर अपना आदेश पारित करेंगे.

अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी किये गये आदेश

हाल ही के दिनों में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र लिखा है. लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि दाखिल-खारिज का आवेदन अगर एक बार अस्वीकृत हो जाता है, तो आवेदक को इसकी अपील भूमि सुधार उपसमाहर्ता के न्यायालय में करनी पड़ती है,जबकि कई बार कोई दस्तावेज अपठनीय रहने या प्रासंगिक दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन में आपत्तियां लगाई जा सकती हैं. यानी छोटे-मोटे या बिना किसी ठोस कारण के सीओ आवेदन को अस्वीकृत नहीं करेंगे. अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि अंचल स्तरीय अधिकारी बिना आवेदक का पक्ष जाने आपत्ति लगा कर आवेदन अस्वीकृत कर देते हैं. जबकि प्राकृतिक न्याय के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि किसी भी मामले को अस्वीकृत करने से पहले संबंधित याचिकाकर्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए. दाखिल-खारिज अधिनियम के अनुसार, यदि अंचल अधिकारी, कर्मचारी और अंचल निरीक्षक जमीन के दस्तावेज की जांच से संतुष्ट नहीं हैं, तो वह इसकी जांच कर अपना निष्कर्ष लिखेंगे. इसके बाद संबंधित पक्षों को सुनवाई एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर दस्तावेज अधूरे या गलत पाए जाते हैं, तो सीओ सभी संबंधित आधार का उल्लेख करते हुए आवेदन को अस्वीकृत करेंगे.

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50 हजार से अधिक आवेदन किये गये हैं जिले में अस्वीकृत

खगड़िया. जिले में दाखिल-खारीज के लिए प्राप्त हुए आवेदन बड़ी संख्या में रिजेक्ट कर दिया गया था. आवेदन रिजेक्ट करने में सातों अंचल के सीओ ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था. सातों अंचल में ऑन लाइन 1.15 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुआ था. जिसमें 50 हजार से अधिक दाखिल-खारीज के आवेदनों को सीओ द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया.

कहते हैं अधिकारी

एडीएम आरती ने बताया कि जमीन के दाखिल- खारिज आवेदन को अस्वीकृत करने के पूर्व आवेदक का पक्ष जानना अनिवार्य है. बिना आवेदक की बातों को सुने आवेदन अस्वीकृत करना विभागीय निर्देश की अवहेलना मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में संबंधित कर्मी/ पदाधिकारी दण्ड के भागी होंगे.

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