GDP Growth: भारत की आर्थिक वृद्धि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में एक बार फिर मजबूत रफ्तार पकड़ सकती है. मंगलवार को एसबीआई रिसर्च की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की जीडीपी ग्रोथ 7.5% या उससे अधिक रह सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी दरों में कटौती के बाद त्योहारों में बढ़ी बिक्री और निवेश गतिविधियों में तेजी ने आर्थिक वृद्धि को मजबूती दी है.
त्योहारी सीजन में बढ़ी बिक्री ने दी अर्थव्यवस्था को गति
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर के अंत में जीएसटी दरों में कटौती की गई, जिसका सीधा असर त्योहारों की बिक्री पर पड़ा. बाजारों में मांग तेज हुई और उपभोग बढ़ा. इससे न सिर्फ खुदरा क्षेत्र बल्कि विनिर्माण, सेवाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली. त्योहारों के दौरान मांग में इतनी तेजी देखी गई कि खपत और उत्पादन से जुड़े प्रमुख आर्थिक संकेतकों का प्रतिशत पहली तिमाही के 70% से बढ़कर दूसरी तिमाही में 83% हो गया.
निवेश गतिविधियों, विनिर्माण और ग्रामीण खपत में सुधार
एसबीआई की आर्थिक शोध टीम का कहना है कि मजबूत निवेश गतिविधियां और ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में सुधार आर्थिक विकास के प्रमुख आधार बने हैं. इनमें विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, सेवाओं के क्षेत्र में मजबूत वृद्धि, ग्रामीण आय और उपभोग में सुधार शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी कारक मिलकर दूसरी तिमाही की जीडीपी ग्रोथ को और ऊंचा उठा सकते हैं.
7.5% से अधिक हो सकता है वास्तविक आंकड़ा
एसबीआई रिसर्च के अनुमानित मॉडल के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 7.5% जीडीपी वृद्धि का अनुमान है. रिपोर्ट कहती है कि वास्तविक आंकड़ा इससे अधिक भी हो सकता है. सरकार नवंबर महीने के अंत में जुलाई-सितंबर तिमाही के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े जारी करेगी. वहीं आरबीआई ने इस तिमाही के लिए 7% ग्रोथ का अनुमान लगाया है, जो एसबीआई के अनुमान से थोड़ा कम है.
जीएसटी कलेक्शन में हो सकती है मजबूत वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर महीने का जीएसटी कलेक्शन लगभग 1.49 लाख करोड़ रुपये रह सकता है, जो सालाना आधार पर 6.8% की वृद्धि है. इसके साथ ही लगभग 51,000 करोड़ रुपये के आईजीएसटी और उपकर को जोड़ने पर नवंबर का कुल जीएसटी कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. त्योहारी मांग में उछाल और जीएसटी दरों में कटौती को इसका मुख्य कारण बताया गया है.
क्रेडिट और डेबिट कार्ड खर्च में उछाल
त्योहारों के दौरान देशभर में डिजिटल भुगतान में भी तेज वृद्धि देखी गई. रिपोर्ट में कार्ड खर्च के पैटर्न का विश्लेषण किया गया. इसके अनुसार, क्रेडिट कार्ड खर्च में प्रमुख वृद्धि वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, किराना और सुपरमार्केट, यात्रा व पर्यटन और फर्निशिंग श्रेणियों में किया गया है. इन सभी श्रेणियों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बड़ी मांग देखी गई. कुल क्रेडिट कार्ड खर्च का 38% उपभोग वस्तुओं और सेवाओं पर हुआ है.
मझोले शहरों में मांग सबसे ज्यादा
रिपोर्ट बताती है कि मांग केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि मझोले शहरों में सबसे अधिक बढ़त दिखाई दी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सितंबर-अक्टूबर 2025 में लगभग सभी प्रमुख राज्यों में डेबिट कार्ड खर्च में भी वृद्धि देखी गई. इसे जीएसटी दरों में कटौती किए जाने का सकारात्मक प्रभाव माना गया है.
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भारत का वृहद आर्थिक परिदृश्य अभी भी मजबूत
एसबीआई रिसर्च का मानना है कि भारत का समग्र आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। इसके पीछे तीन बड़े कारण मजबूत घरेलू मांग, खपत में सुधार और महंगाई का घटता दबाव है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में जीएसटी 2.0 सुधार निजी खपत को और बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे घरेलू मांग और मजबूत होगी.
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