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Income Tax Refunds: आपको नहीं मिला इनकम टैक्स रिफंड, जानें क्यों रही है देरी

Income Tax Refunds: साल 2025 में आयकर रिफंड मिलने में काफी देरी हो रही है. सख्त सत्यापन, डेटा बेमेल और पोर्टल की तकनीकी समस्याओं के कारण कई रिटर्न महीनों तक अटके हुए हैं. आईटीआर-1 जैसे सरल रिटर्न जल्दी प्रोसेस हो रहे हैं, जबकि जटिल रिटर्न में अधिक समय लग रहा है. सही जानकारी, समय पर ई-सत्यापन और बैंक विवरण अपडेट रखने से रिफंड तेजी से मिल सकता है.

Income Tax Refunds: देश के करोड़ों करदाताओं के लिए एक अहम खबर है. वह यह है कि जिस आयकर रिफंड का आप लंबे अरसे से इंतजार कर रहे हैं, उसे मिलने में देर हो रही है. आखिर यह देरी क्यों हो रही है? साल 2025 में भारत में आयकर रिफंड की प्रक्रिया पहले के मुकाबले काफी धीमी गई है. बड़ी संख्या में करदाता रिटर्न दाखिल करने के कई महीनों बाद भी रिफंड न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि आयकर विभाग ने सत्यापन प्रक्रिया और अनुपालन नियमों को पहले से अधिक सख्त कर दिया है, जिससे रिफंड जारी करने का समय स्वाभाविक रूप से बढ़ गया है.

सत्यापन प्रक्रिया में बढ़ोतरी से रिफंड में विलंब

आयकर विभाग ने इस साल रिफंड जारी करने से पहले जांच प्रक्रिया को काफी व्यापक कर दिया है. विदेशी आय, पूंजीगत लाभ और कई आय स्रोतों से जुड़े रिटर्न को अब गहराई से जांचा-परखा जा रहा है. खासकर, एक लाख रुपये से अधिक के रिफंड वाले मामलों को अतिरिक्त सत्यापन के दायरे में रखा गया है. विभाग का फोकस ऐसे मामलों पर है, जिनमें छूट का दुरुपयोग या अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त आय में विसंगतियां पाई जा सकती हैं. इन अतिरिक्त जांचों के कारण रिफंड जारी होने का समय स्वाभाविक रूप से बढ़ गया है.

डेटा बेमेल होने से से रिफंड की प्रक्रिया में देरी

रिफंड रुकने का एक बड़ा कारण डेटा का बेमेल होना भी है. कई बार रिटर्न में घोषित आय की राशि फॉर्म 26एएस, वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) या नियोक्ता और बैंक द्वारा जमा किए गए टैक्स विवरणों से मेल नहीं खाती. जब ऐसी विसंगतियां सामने आती हैं, तो रिटर्न की प्रोसेसिंग अगले चरण में नहीं बढ़ पाती, जब तक कि करदाता उन बेमेल जानकारियों को ठीक न कर दे. इस प्रकार की गलतियों के कारण रिफंड लंबे समय तक लंबित रहता है और प्रक्रिया बेहद धीमी हो जाती है.

तकनीकी बाधाएं भी देरी का बड़ा कारण

2025 में आयकर पोर्टल से जुड़ी तकनीकी समस्याओं ने रिफंड प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है. कुछ आईटीआर फॉर्म, जैसे आईटीआर-2 और आईटीआर-3 की यूटिलिटी समय पर उपलब्ध नहीं हो पाई, जिससे कई करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में देरी का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, ई-फाइलिंग पोर्टल के अपग्रेड और सिस्टम एरर के कारण सत्यापन प्रक्रिया भी प्रभावित हुई. इन सभी तकनीकी समस्याओं ने प्रोसेसिंग समय को बढ़ा दिया, जिससे रिफंड जारी होने में स्वाभाविक देरी हो रही है.

रिफंड प्रोसेसिंग समय सीमा में आए बदलाव

रिपोर्टों के अनुसार, इस वर्ष सरल श्रेणी वाले रिटर्न (आईटीआर-1 के अंतर्गत दाखिल किए गए रिटर्न) यदि वे त्रुटि-रहित हों और समय पर ई-सत्यापित किए जाएं, तो लगभग एक से तीन सप्ताह में प्रोसेस कर दिए जाते हैं. इसके विपरीत, व्यावसायिक आय या कई स्रोतों से आय वाले जटिल रिटर्न को तीन से पांच सप्ताह या कई मामलों में उससे भी अधिक समय लग रहा है. 23 सितंबर 2025 तक दाखिल किए गए 7.57 करोड़ रिटर्न में से करीब 1.86 करोड़ रिटर्न अभी भी प्रोसेस नहीं हो पाए हैं, जो यह दर्शाता है कि बड़ी संख्या में रिफंड अभी भी लंबित स्थिति में हैं.

ई-सत्यापन न करने से रिफंड में और अधिक देरी

आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, रिटर्न दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर ई-सत्यापन पूरा किया जाना आवश्यक है. यदि यह समयसीमा पार हो जाती है, तो रिटर्न अमान्य माना जाता है और इसे दोबारा सत्यापित करने तक रिफंड जारी नहीं किया जा सकता. कई करदाता ई-सत्यापन की इस अनिवार्यता से अवगत नहीं होते और इस वजह से उनके रिफंड महीनों तक अटक जाते हैं. साथ ही, यदि पैन-आधार लिंक न हो, बैंक खाता सत्यापित न हो या आईएफएससी कोड गलत दर्ज हो, तो भी प्रक्रिया में और अधिक समय लग जाता है.

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करदाता रिफंड प्रक्रिया को कैसे बनाएं सुचारू

रिफंड में देरी से बचने के लिए करदाताओं को सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे रिटर्न दाखिल करने से पहले अपनी आय और टैक्स से जुड़ी सभी जानकारियां फॉर्म 26एएस और एआईएस से मिलान कर लें. इसके अलावा, रिटर्न फाइल करने के तुरंत बाद ई-सत्यापन पूरा करना आवश्यक है, ताकि प्रोसेसिंग बिना बाधा के आगे बढ़ सके. करदाताओं को यह भी देखना चाहिए कि उनका बैंक खाता आयकर पोर्टल पर सत्यापित और सक्रिय हो. यदि रिफंड लंबे समय तक लंबित रहे, तो आयकर विभाग के ई-निवारण पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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