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Who Is Jaichand : जब भी जयचंद नाम की चर्चा होती है, धोखा, विश्वासघात जैसे शब्द हमारे दिमाग में चलने लगते हैं. बिहार की राजनीति में जब लालू परिवार का विवाद सामने आया है, तो तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव को राजद का जयचंद कहा गया है. तेजस्वी के भाई तेजप्रताप और रोहिणी आचार्य ने संजय यादव की तुलना जयचंद से की है. आखिर कौन था जयचंद, जिसका नाम आज भी जब सामने आता है, जब किसी से विश्वासघात की बात होती है?
कौन था जयचंद?
जयचंद कन्नौज का राजा था. उसका शासन आज के उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाकों में था. वह पृथ्वीराज चौहान का समकालीन राजा था. जयचंद के समकालीन जो ऐतिहासिक दस्तावेज हैं, उसके अनुसार वह एक पराक्रमी और शक्तिशाली राजा था. उसके पास एक विशाल सेना थी, जिसका प्रभाव दूर-दूर तक था. मोहम्मद गोरी ने जयचंद के राज्य पर आक्रमण किया था, इस बात के प्रमाण फारसी ग्रंथों में मिलते हैं. उस कालखंड के पहले आधिकारिक इतिहास हसन निजामी की ‘ताज-उल-मासिर’ में जयचंद को शक्तिशाली शासक के रूप में बताया गया है. साथ ही यह भी बताया गया है कि वह मुसलमानों का विरोधी था. इस किताब में यह भी बताया गया है कि गोरी और जयचंद विरोधी थे. जयचंद की मृत्यु भी गोरी की सेना से लड़ते हुए ही हुई थी. उसकी सेना के बारे में यह कहा जाता है कि वह बहुत विशाल थी, जिसमें हाथी भी शामिल थे.
जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच क्या संबंध था?

पृथ्वीराज चौहान के राजकवि चंद्रबरदाई ने पृथ्वीराज रासो की रचना की थी. इस वीरगाथा में यह बताया गया है कि पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद की बेटी संयोगिता का अपहरण कर उससे शादी की थी. इसी वजह से जयचंद उसको पसंद नहीं करता था. उससे पहले उनके बीच राजनीतिक विरोध की बात भी कही गई है. इस वर्णन के अनुसार जयचंद और पृथ्वीराज चौहान रिश्तेदार हुए, लेकिन कोई भी इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि पृथ्वीराज रासो एक साहित्यिक रचना है ना कि ऐतिहासिक, इसलिए इसके तथ्य पर बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता है. इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि दोनों समकालीन शासक थे और यह भी एक सच्चाई है कि दोनों के बीच के संबंध बहुत अच्छे नहीं थे. इसके पीछे की वजह इतिहासकार यह मानते हैं कि उस काल में भारत में केंद्रीय सत्ता मजबूत नहीं थ और सभी छोटे-बड़े राज्य एक दूसरे के विरोधी थे और दूसरे को पराजित कर अपना साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे.
आखिर जयचंद विश्वासघात और गद्दारी का पर्याय कैसे बना?
पृथ्वीराज रासो में यह बताया गया है कि जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान की उस वक्त मदद नहीं की थी, जब उसे मदद की जरूरत थी. तराइन के पहले युद्ध में तो पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को परास्त कर दिया था, लेकिन दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को परेशानी हो रही थी, तब उसने राजपूत राजाओं से मदद मांगी थी, लेकिन जयचंद ने उसकी मदद नहीं की, जबकि उसके पास विशाल सेना थी. कई अन्य राजपूत राजाओं ने भी पृथ्वीराज चौहान की मदद नहीं की थी. इस वजह से पृथ्वीराज रासो में जयचंद को गद्दार और विश्वासघाती बताया गया है. इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई थी,चूंकि ‘पृथ्वीराज रासो’ एक साहित्यिक कृति है और इसमें पृथ्वीराज चौहान की शख्सियत को काफी गौरवपूर्ण दिखाया गया है, संभवत: इसलिए जयचंद के चरित्र को इस तरह चित्रित किया गया है, जैसे वह कोई बहुत बड़ा धोखेबाज था. हालांकि कोई भी इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं है कि जयचंद एक विश्वासघाती और गद्दार था. इतिहासकार सतीश चंद्र भी इस बात से सहमत नहीं है कि जयचंद ने पृथ्वीराज से गद्दारी की थी.
इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव (जेपी काॅलेज छपरा) भी यह कहते हैं कि जयचंद का चरित्र ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार उस तरह का नहीं था, जैसा कि उसे बना दिया गया. प्रोफेसर शैलेंद्र बताते हैं कि तराइन के दूसरे युद्ध में जयचंद ने, गोरी के खिलाफ पृथ्वीराज चौहान की मदद नहीं की थी, यही उसकी सबसे बड़ी भूल थी क्योंकि बाद में उसे उसी गोरी से युद्ध करना पड़ा और जान गंवानी पड़ी. ऐतिहासिक तथ्य तो यही कहते हैं, हां, पृथ्वीराज रासो जो कि एक व्यक्ति की महिमागाथा है, उसमें उसे विश्वासघाती बताया गया है. चंद्रबरदाई ने जिस पृथ्वीराज रासो की रचना की, उसमें बात के कवियों ने बहुत कुछ जोड़ा और कई बातें महज कल्पना है. जयचंद के चरित्र को भी नाटकीय अंदाज में बहुत बदल दिया गया है.
क्या जयचंद ने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण के लिए बुलाया था?
जयचंद को धोखेबाज बताते हुए एक मिथक देश में फैला हुआ है कि उसने गोरी को पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण के लिए बुलाया था. हालांकि इस तरह के कोई प्रमाण समकालीन ग्रंथों में नहीं मिलते हैं. फारसी के साथ-साथ जैन ग्रंथ ‘पृथ्वीराज विजय’ में भी इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं. सबसे बड़ी बात जिस पृथ्वीराज रासो ने जयचंद को गद्दार के रूप में स्थापित किया, उसमें भी इस बात का जिक्र नहीं है कि जयचंद ने गोरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण के लिए बुलाया था.
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